भारत द्वारा 7 मई को किए गए ऑपरेशन सिंदूर को लेकर पाकिस्तान का झूठ एक बार फिर बेनकाब हो गया है। लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के वरिष्ठ कमांडर कासिम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुरिदके स्थित मर्कज तैयब्बा के खंडहरों के बीच खड़े होकर स्वीकार कर रहा है कि यह परिसर भारतीय हमले में नष्ट कर दिया गया था।
वीडियो में कासिम साफ कहता है, “मैं मुरिदके के मर्कज तैयब्बा के खंडहरों पर खड़ा हूं, जिसे (भारतीय) हमले में तबाह कर दिया गया।” उसने यह भी दावा किया कि इस परिसर का पुनर्निर्माण पहले से बड़ा किया जा रहा है। यह स्वीकारोक्ति पाकिस्तान सरकार के उन बयानों के विपरीत है, जिनमें कहा गया था कि मुरिदके का यह ठिकाना अब इस्तेमाल में नहीं है।
कासिम ने आगे यह भी स्वीकार किया कि मर्कज तैयब्बा मस्जिद से न सिर्फ मुझाहिदीन बल्कि बड़ी संख्या में तुलबा (छात्र) भी प्रशिक्षण लेकर गए हैं और उन्होंने “फतह (विजय)” हासिल की।
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पुष्टि की है कि लश्कर गुपचुप तरीके से इस परिसर का पुनर्निर्माण कर रहा है और इसे 5 फरवरी 2026 तक, यानी पाकिस्तान द्वारा मनाए जाने वाले कश्मीर सॉलिडेरिटी डे पर, फिर से शुरू करने की योजना है।एक अन्य वीडियो में कासिम पाकिस्तानी युवाओं से दौरा-ए-सुफ्फा नामक बेसिक कॉम्बैट ट्रेनिंग कोर्स में शामिल होने की अपील करता दिखा।
🚨 🇵🇰👺 After Jaish commander ilyas kashmiri now Lashkar-e-Taiba Commander Qaasim has torn apart Pakistan’s lies on Muridke terror camps.
👉 Standing in front of the demolished Markaz E Taiba camp, which destroyed in #OperationSindoor, he admits that many terrorists… pic.twitter.com/S80p9wLSFy
— OsintTV 📺 (@OsintTV) September 19, 2025
मामला यहीं खत्म नहीं होता। लश्कर के डिप्टी चीफ सैफुल्लाह कसूरी ने भी एक वायरल वीडियो में दावा किया कि पाकिस्तान की सेना और सरकार ने मुरिदके मुख्यालय को दोबारा खड़ा करने में वित्तीय मदद दी है। भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा तैयार एक डॉसियर में भी इस बात के प्रमाण होने की बात सामने आई है।
इससे पहले जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर मसूद इलियास कश्मीरी ने भी स्वीकार किया था कि बहावलपुर में उनके ठिकाने भारतीय हमले में बुरी तरह प्रभावित हुए थे। उसने यह भी खुलासा किया कि हमले में मारे गए आतंकियों के अंतिम संस्कार में पाकिस्तानी सेना के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। पाकिस्तान के ओर से आतंकी संगठनों की सार्वजनिक स्वीकारोक्ति ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि उसकी जमीन पर आतंकी ढांचे न सिर्फ सक्रिय हैं, बल्कि सरकारी सरपरस्ती में दोबारा खड़े भी किए जा रहे हैं।
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