पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सरकार की विभिन्न नीतियों और परियोजनाओं के खिलाफ असंतोष बढ़ता जा रहा है। हाल ही में कई विरोध प्रदर्शनों के माध्यम से लोगों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है, जिसमें प्रमुख मुद्दे कॉर्पोरेट खेती और छह नई नहरों के निर्माण को लेकर रहे हैं।
‘मेहनतकश औरत रैली’ नामक एक बड़े प्रदर्शन में महिलाओं, किसानों, मजदूरों और ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। यह रैली ‘यूथ ऑडिटोरियम’ से शुरू होकर ‘आर्ट्स काउंसिल ऑफ पाकिस्तान’ पर समाप्त हुई। इस प्रदर्शन का नेतृत्व गृह-आधारित महिला श्रमिक संघ की महासचिव जेहरा खान ने किया, जिन्होंने सिंध में जलवायु परिवर्तन, बाढ़, जल संकट और सिंधु डेल्टा के विनाश जैसे गंभीर मुद्दों को उजागर किया।
जेहरा खान ने चेतावनी दी कि सरकारी नीतियों के कारण सिंध की सभ्यता गंभीर खतरों का सामना कर रही है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, बाढ़, जल संसाधनों के दोहन और सिंधु डेल्टा के विनाश जैसे मुद्दों का जिक्र किया, जिससे सिंध में लाखों लोगों के जीवन और भूमि को खतरा है।
खान ने कहा कि ये चुनौतियां सिंध में बड़े पैमाने पर पलायन का कारण बनी हैं, फसल की पैदावार कम हुई है और खाद्य संकट बढ़ रहा है। उन्होंने पंजाब के प्रगतिशील समूहों से अपने शासकों की नहर नीतियों का विरोध करने और प्रांत के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए सिंध के अधिकारों का समर्थन करने की अपील की।
‘मेहनतकश औरत रैली’ में लैंगिक उत्पीड़न, प्रतिगामी सामाजिक दृष्टिकोण और महिलाओं के खिलाफ पूर्वाग्रहों की भी निंदा की गई। प्रमुख पाकिस्तानी अखबार ‘डॉन’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने पंजाब के लोगों और पाकिस्तान भर में प्रगतिशील ताकतों से सिंध के साथ एकजुटता में खड़े होने की अपील की, जिसमें कहा गया कि सत्तारूढ़ अभिजात वर्ग नुकसानदायक नीतियों को लागू करने में एकजुट है।
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रैली में बड़ी संख्या में किसान शामिल हुए, उन्होंने सिंध के अधिकारों के लिए समर्थन व्यक्त किया और पंजाब के नेतृत्व द्वारा संचालित नहर परियोजनाओं की निंदा की। इस बीच, कराची बार एसोसिएशन और हैदराबाद बार काउंसिल ने भी सरकार की विवादास्पद नहर परियोजनाओं, कॉर्पोरेट खेती के लिए सिंध की जमीन देने और नए इलेक्ट्रॉनिक अपराध विधेयक के खिलाफ अलग से प्रदर्शन किया।
वकीलों ने आरोप लगाया कि सरकार ‘वन-यूनिट’ प्रणाली को पुनः लागू करने की कोशिश कर रही है और विवादित नहर परियोजनाओं पर बिना आवश्यक अनुमोदन के काम आधे से अधिक पूरा किया जा चुका है। उन्होंने चेतावनी दी कि जनता इन परियोजनाओं को स्वीकार नहीं करेगी और सरकार को अपने फैसले वापस लेने होंगे।