नई दिल्ली। पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने एक जैसी दो याचिकाओं पर अलग-अलग फैसला सुनाया है।पंजाब के बंठिडा की एक नाबालिग लड़की ने पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट से सुरक्षा की मांग की है। लिव-इन में रह रही इस लड़की की उम्र 17 साल है और लड़के की उम्र 20 साल है। कोर्ट ने जोड़े को सुरक्षा देते हुए कहा कि ये दोनों साथ रहना चाहते हैं तो इसमें अदालत कुछ नहीं कर सकती है।कोर्ट ने यह भी कहा कि इन दोनों ने सुरक्षा की मांग की है न की शादी और न ही अपने रिश्ते को मंजूरी देने लिए है। इससे पहले पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने ही ऐसे ही एक जोड़े की मांग को ख़ारिज कर दिया था। प्रेमी जोड़े की याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि लिव इन रिलेशनशिप (सहजीवन) नैतिक और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य है।
बहरहाल ,जस्टिस संत प्रकाश की बेंच ने इस जोड़े को 3 जून को सुरक्षा देने का आदेश दिया था। यहां ध्यान दिए जाने वाली बात यह है कि लड़की नाबालिग है और शादी करने के योग्य नहीं है। इस फैसले से पता चलता है कि हाई कोर्ट की विभिन्न बेंचों में लिव-इन को लेकर अलग-अलग तरह के विचार हैं।अदालत को बताया गया कि लड़की और उसके साथी के रिश्ते के बारे में पता चलने पर लड़की के माता-पिता चाहते थे कि वह उनके पसंद के लड़के से शादी करे, जिसके बाद लड़की अपने साथी के साथ रहने के लिए घर छोड़ दिया। उन्होंने तब तक साथ रहने का फैसला किया है जब तक उन्हें कानूनी रूप से अपनी शादी की अनुमति नहीं दी जाती है।पीठ ने कहा, “अगर शादी की पवित्रता के बिना एक साथ रहने का विकल्प चुनने वाले व्यक्तियों को सुरक्षा से वंचित किया जाता है, तो ऐसा करना न्याय का मजाक होगा।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि यहां हो रही हॉनर किलिंग की घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। राज्य की जिम्मेदारी है कि वह उनकी सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता सुनिश्चित करे। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं ने उनसे शादी करने या अपने रिश्ते को मंजूरी देने की अनुमति नहीं मांगी है। अगर ऐसा होता तो अदालत के लिए मुश्किल हो जाती।
इससे पहले पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट की ने सुरक्षा की मांग करने वाले एक प्रेमी जोड़े की याचिका खारिज कर दी थी और याचिका को खारिज करते हुए कहा कि लिव इन रिलेशनशिप (सहजीवन) नैतिक और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य है। याचिकाकर्ता 19 वर्षीय गुलजा कुमारी और 22 वर्षीय गुरविंदर सिंह ने याचिका में कहा है कि वे एक साथ रह रहे हैं और जल्द शादी करना चाहते हैं। उन्होंने कुमारी के माता-पिता से अपनी जान को खतरा होने की आशंका जताई थी। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एचएस मदान ने अपने 11 मई के आदेश में कहा कि वास्तव में याचिकाकर्ता वर्तमान याचिका दायर करने की आड़ में अपने लिव इन रिलेशनशिप पर अनुमोदन की मुहर की मांग कर रहे हैं, जो नैतिक और सामाजिक रूप से स्वीकार्य नहीं है और याचिका में कोई सुरक्षा आदेश पारित नहीं किया जा सकता है। लिहाजा याचिका खारिज की जाती है। इन दो फैसलों से लगता है कि कोर्ट ने साथ रहने और शादी करने की बातों कोट किया है।