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“हमारे डॉलर से रूस की जंग चल रही है” पीटर नवारो का एक और भारत विरोधी बयान !

"बाइडेन प्रशासन ने इस पागलपन पर आंख मूंद ली थी।"

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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने एक बार फिर भारत पर निशाना साधते हुए उसे रूस-यूक्रेन युद्ध के लिए जिम्मेदार ठहराया है। नवैरो ने दावा किया कि भारत द्वारा रूस से बढ़ते तेल आयात से व्लादिमीर पुतिन की “वॉर मशीन” को ताकत मिल रही है और इसके लिए अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल हो रहा है।

नवारो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “हम भारत के साथ 50 बिलियन डॉलर का ट्रेड डेफिसिट चला रहे हैं और भारत उन्हीं डॉलर से रूसी तेल खरीद रहा है। भारत फायदा कमा रहा है और यूक्रेनियन मर रहे हैं।” उन्होंने भारत को “क्रेमलिन का ऑयल मनी लॉन्ड्रोमैट” तक कह डाला।

नवारो के मुताबिक, पूरा चक्र सीधा लेकिन विनाशकारी है, अमेरिकी उपभोक्ता भारतीय सामान खरीदते हैं, जबकि भारत अमेरिकी निर्यात पर शुल्क और नियमों की बाधाएं लगाता है। इसके बाद भारत उन डॉलर का इस्तेमाल रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने में करता है, जिसे रिफाइन कर अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेच दिया जाता है। इससे रूस को पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद युद्ध जारी रखने के लिए फंड मिलता है।

उन्होंने दावा किया कि भारत अब रोजाना 15 लाख बैरल से ज्यादा रूसी कच्चा तेल आयात कर रहा है, जबकि युद्ध से पहले यह आंकड़ा 1 प्रतिशत से भी कम था। नवैरो ने भारत पर स्ट्रैटेजिक फ्रीलोडिंग का आरोप लगाते हुए कहा कि वह अमेरिका से टेक्नोलॉजी तो चाहता है, लेकिन रूस से तेल और हथियार खरीदकर वॉशिंगटन को नुकसान पहुंचा रहा है। हालांकि नवारो ने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन की निंदा करते हुए लिखा, “बाइडेन प्रशासन ने इस पागलपन पर आंख मूंद ली थी।” नवारो का दावा है की अमेरिका की यह सहनशीलता उसकी अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता को कमजोर कर रही है।

साथ ही नवारो ने ट्रंप के फैसलों को निर्णायक बताते हुए कहा कि ट्रंप द्वारा भारतीय आयात पर लगाए गए 50% टैरिफ न सिर्फ अनुचित व्यापार के खिलाफ हैं बल्कि रूस के लिए भारत द्वारा बनाई गई वित्तीय लाइफलाइन को काटने का प्रयास भी हैं। नवैरो ने इन्हें दोहरी सज़ा बताते हुए कहा 25% अनुचित व्यापार पर और 25% रूस से जुड़े राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं पर।

भारत ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि उसकी ऊर्जा सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और वह जहां से सस्ता तेल मिलेगा, वहीं से खरीदेगा। भारत ने यह भी कहा कि ट्रंप प्रशासन के समय अमेरिका खुद रूस से खनिज खरीदता रहा, इसलिए केवल भारत को निशाना बनाना उचित नहीं है। साथ ही भारत ने यह भी दोहराया कि वह रूस का सबसे बड़ा खरीदार नहीं है। नवारो ने अंत में कहा है, “अगर भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होकर भी अमेरिका का रणनीतिक साझेदार बनना चाहता है, तो उसे उसी तरह व्यवहार करना होगा। यूक्रेन में शांति का रास्ता नई दिल्ली से होकर गुजरता है।”

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