नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस पर पीएम मोदी ने मंगलवार को आयोजित एक कार्यक्रम में आगाह करते हुए कहा कि कुछ लोग मानवाधिकार के नाम पर देश की छवि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, हमें ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए। उन्होंने कहा मानवाधिकार का हनन तब सबसे अधिक होता है जब किसी घटना को राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है, और उसका नफा नुकसान से तौला जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसा व्यवहार लोकत्रंत के लिए घातक है। इस दौरान पीएम मोदी ने तीन तलाक के अलावा महिलाओं के लिए किये गए कामों का भी जिक्र किया।
सेलेक्टिव व्यवहार लोकतंत्र के लिए हानिकारक: पीएम नरेंद्र मोदी ने मानवाधिकारों को लेकर सेलेक्टिव अप्रोच अपनाने वालों पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कुछ लोग किसी घटना में मानवाधिकारों के उल्लंघन की बात करते हैं, लेकिन वैसी ही किसी दूसरी घटना पर चुप्पी साध जाते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि इस तरह का सेलेक्टिव व्यवहार लोकतंत्र के लिए हानिकारक है। ऐसे लोग अपने बर्ताव से देश की छवि को खराब करने की कोशिश करते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि भारत आत्मवत सर्वभूतेषु के महान आदर्शों, संस्कारों और विचारों को लेकर चलने वाला देश है। आत्मवत सर्वभूतेषु यानि जैसा मैं हूं वैसे ही सब मनुष्य हैं।
मानव-मानव में, जीव-जीव में भेद नहीं : मानव-मानव में, जीव-जीव में भेद नहीं है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने लगातार विश्व को समानता और मानव अधिकारों के जुड़े विषयों पर नया विजन दिया है। बीते दशकों में ऐसे कितने ही अवसर विश्व के सामने आए हैं, जब दुनिया भ्रमित हुई है, भटकी है। लेकिन भारत मानवाधिकारों के प्रति हमेशा प्रतिबद्ध रहा है, संवेदनशील रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि आज देश ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के मूल मंत्र पर चल रहा है।
तीन तलाक का भी किया जिक्र: ये एक तरह से मानव अधिकार को सुनिश्चित करने की ही मूल भावना है। मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाए जाने का भी उन्होंने जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा, ‘दशकों से मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के खिलाफ कानून की मांग कर रही थीं। हमने उनके अधिकारों को प्रदान किया। इसके अलावा हज के दौरान मुस्लिम महिलाओं को हमने ‘महरम’ से भी मुक्त करने का काम किया है।’
आपको बता दें कि मानवाधिकार आयोग की स्थापना 12 अक्टूबर 1993 में की गई थी। इसकी स्थापना संरक्षण कानून के तहत की गई है। जिसका उद्देश्य मानवाधिकारों की रक्षा करना और उन्हें बढ़ावा देना है।