10 साल में दोगुना उत्पादन करेगा भारत, इस्पात उद्योग में भी अपार संभावना

आईएनएस विक्रांत भारतीय इस्पात उद्योग की कुशलता का एक उदाहरण: मोदी

PM Modi's great news for the unemployed!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 अक्टूबर, शुक्रवार को गुजरात स्थित आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया के प्रमुख संयंत्र के विस्तार के भूमि पूजन समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये शामिल हुए, जो कि सूरत जिले के हजीरा में स्थित है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विनिर्माण के क्षेत्र में भारतीय इस्पात उद्योग द्वारा हासिल की गई सफलता के कारण पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत ‘आईएनएस विक्रांत’ को घरेलू क्षमता और प्रौद्योगिकी की मदद से बनाया जा सका। वहीं पिछले आठ वर्षों में सभी के प्रयासों से भारतीय इस्पात उद्योग दुनिया में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। जबकि इसमें विस्तार होने की अपार संभावनाएं अब भी कायम हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता को दोगुना किया जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पहले भारत को रक्षा क्षेत्र के लिए उच्च श्रेणी का इस्पात आयात करना पड़ता था, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। पीएम ने कहा कि भारत ने अगले 9-10 वर्षों में कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता को मौजूदा 15.4 करोड़ टन प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 30 करोड़ टन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। वहीं उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना ने उद्योग के लिए विस्तार का रास्ता खोला है और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को ताकत दी है। इस वजह से ही भारत देश उच्च श्रेणी के इस्पात की उत्पादन क्षमता बढ़ाने और इसके आयात को कम करने में सफल हुआ हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि इसका सबसे बड़ा उदाहरण आईएनएस विक्रांत का है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों ने विमानवाहक पोत में इस्तेमाल होने वाले विशेष इस्पात को विकसित किया है और भारतीय कंपनियों ने हजारों टन उच्च श्रेणी वाले मिश्र धातु का उत्पादन किया है। उन्होंने कहा, आईएनएस विक्रांत को पूरी तरह स्वदेशी क्षमता और प्रौद्योगिकी के साथ बनाया गया है। ऐसी क्षमता को बढ़ावा देने के लिए, देश ने अब कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।

उन्होंने कहा कि विमानवाहक पोत के निर्माण के लिए अन्य देशों पर भारत की निर्भरता सही नहीं है। इन परिस्थितियों को बदलने के लिए, हमें आत्मनिर्भर बनने की जरूरत थी। और भारतीय इस्पात उद्योग ने इस चुनौती को स्वीकार किया। चीन भारत तेजी से दुनिया का सबसे बड़ा इस्पात विनिर्माता बनने की ओर बढ़ रहा है और सरकार इस क्षेत्र के लिए आवश्यक नीतियां और अनुकूल माहौल को बनाने का काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि उद्योग कार्बन उत्सर्जन की चुनौती का सामना कर रहा है, और इसलिए पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों के उपयोग को सरकार बढ़ावा दे रही है। उन्होंने ऐलान किया कि हजीरा संयंत्र के विस्तार में 60,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा। इस विस्तार के बाद हजीरा संयंत्र में कच्चे इस्पात की उत्पादन क्षमता 90 लाख टन सालाना से बढ़कर 1.5 करोड़ टन सालाना हो जाएगी। जिससे गुजरात और देश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

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