नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा 21 जून से 18 साल से अधिक आयु के सभी लोगों को फ्री टीका लगाए जाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि राज्यों को 25 फीसदी टीकों की जो जिम्मेदारी दी गई थी, उसे भी केंद्र सरकार ही उठाएगी। उन्होंने कहा कि अब देश में 30 अप्रैल तक जो व्यवस्था लागू थी, वही फिर से शुरू होगी। हालांकि निजी अस्पतालों को 25 फीसदी टीकों की सप्लाई पहले की तरह से जारी रहेगी। निजी अस्पतालों को लेकर भी पीएम मोदी ने कहा कि वे कोरोना वैक्सीन की एक डोज की तय कीमत के अलावा 150 रुपये से अधिक सर्विस चार्ज नहीं वसूल सकेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, पिछले वर्ष जब कोरोना के कारण लॉकडाउन लगाना पड़ा था। पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देश के 80 करोड़ लोगों को 8 महीने तक भारत सरकार ने मुफ्त राशन की व्यवस्था की थी। मई-जून तक विस्तार किया गया था,पीएम गरीब योजना को अब दीपावाली तक आगे बढ़ाने का फैसला किया जाएगा।
नवंबर तक भारत सरकार 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को हर महीने तय मात्रा में मुफ्त अनाज उपलब्ध होगा। इस प्रयास का मकसद है कि मेरे किसी भी भाई बहन को भूखा न सोना पड़े। 21 जून सोमवार से देश के हर राज्य में 18 वर्ष की उम्र के ऊपर के सभी नागरिकों को भारत सरकार राज्यों को मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराएगी। 75 फीसदी वैक्सीन कंपनियों से खरीदकर राज्यों को केंद्र सरकार मुहैया कराएगी। सभी राज्यों को केंद्र मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराएगी। सभी देशवासियों को भारत सरकार मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध कराएगी। आने वाले दिनों में वैक्सीन की सप्लाई और भी ज्यादा बढ़ने वाली है। आज देश में 7 कंपनियां विभिन्न प्रकार की वैक्सीन का प्रोडक्शन कर रही है। तीन और वैक्सीन का अडवांस ट्रायल चल रहा है। दूसरे देशों से भी वैक्सीन खरीदने की प्रक्रिया तेज की जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर से हम भारतवासियों की लड़ाई जारी है। भारत भी इस लड़ाई के दौरान बड़ी पीड़ा से गुजरा है। कई लोगों ने अपने परिजनों को, परिचितों को खोया है। ऐसे सभी परिवारों के साथ मेरी संवेदना है। बीते 100 वर्षों में आई ये सबसे बड़ी महामारी है। ऐसी महामारी आधुनिक विश्व ने न देखी थी और न अनुभव की थी। इतनी बड़ी वैश्विक महामारी से हमारा देश कई मोर्चों पर एक साथ लड़ा है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल और मई के महीने में भारत में मेडिकल ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ गई थी। भारत के इतिहास में कभी भी इतनी मात्रा में मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत महसूस नहीं की गई। इस जरूरत को पूरा करने के लिए युद्धस्तर पर काम किया गया। सरकार के सभी तंत्र लगे।