पाकिस्तान द्वारा कब्जाए कश्मीर (पीओके) में हालात तनावपूर्ण हो गए हैं। सोमवार (29 सितंबर) को आवामी एक्शन कमेटी (AAC) की अगुवाई में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। समिति ने शटर-डाउन और व्हील-जाम हड़ताल का आह्वान किया है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि उन्हें आटे और बिजली पर सब्सिडी मिले, साथ ही पाकिस्तान में बसे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए पीओके विधानसभा में आरक्षित 12 सीटें समाप्त की जाएं।
प्रदर्शन की वजह
AAC ने सरकार के सामने 38 सूत्री मांगपत्र रखा है। प्रमुख मांगों में शामिल हैं –
- विधानसभा की 12 आरक्षित सीटों को खत्म करना, जिनके जरिए इस्लामाबाद पीओके की राजनीति में हस्तक्षेप करता है।
- जलविद्युत परियोजनाओं की शर्तों को दोबारा तय करना ताकि स्थानीय जनता को लाभ मिले।
- महंगाई से राहत देने के लिए आटा और अन्य जरूरी वस्तुओं पर सब्सिडी देना।
- अत्यधिक बिजली बिलों को घटाकर आम जनता को राहत प्रदान करना।
AAC नेता शौकत नवाज मीर ने मुज़फ़्फ़राबाद में कहा, “हमारा अभियान किसी संस्था के खिलाफ नहीं बल्कि अपने बुनियादी हक़ों के लिए है जिन्हें 70 साल से छीना गया है। अब बहुत हो चुका। हक़ दो या जनता के ग़ुस्से का सामना करो।”
REBELLION IN PAKISTAN OCCUPIED JAMMU & KASHMIR (PoJK):
Today is 29th September, the day, when Jammu and Kashmir Joint Awami Action Committee (JKJAAC) a umbrella organization representing different social, political and religious bodies of PoJK gave a TOTAL "Chakka Jam" ( SHUTTER… pic.twitter.com/sDQC7OzOWy
— Javed Beigh (@JavedBeigh) September 29, 2025
सप्ताहांत में AAC और पाकिस्तान सरकार के बीच हुई वार्ता विफल रही। सरकारी मंत्रियों का कहना था कि जिन मुद्दों के लिए संवैधानिक संशोधन या विधायी बदलाव चाहिए, उन्हें बंद कमरे में तय नहीं किया जा सकता। इसके बाद AAC ने सोमवार को पूर्ण बंद का ऐलान कर दिया।
वकीलों, कारोबारियों और कई नागरिक संगठनों ने इन प्रदर्शनों का समर्थन किया है। बाजार, व्यवसाय और यातायात पूरी तरह ठप होने की आशंका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार की भ्रष्ट नीतियों और संसाधनों के दुरुपयोग से उनका जीवन असहनीय हो चुका है। पीओके में यह पहला बड़ा विरोध नहीं है। मई 2024 में भी सब्सिडी वाले आटे और बिजली को लेकर प्रदर्शन हुए थे। 2022 और 2023 में भी बड़े पैमाने पर जनता सड़कों पर उतरी थी, जहां पाकिस्तान सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी हुई और “आजादी” की मांग भी उठी।
संभावित हिंसा को देखते हुए पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद से 1,000 से अधिक पुलिसकर्मियों और पंजाब से अर्धसैनिक बलों की तैनाती की है। आधी रात से इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। सोशल मीडिया पर सुरक्षा बलों की तैनाती के वीडियो वायरल हो रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह विरोध केवल आर्थिक मुद्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि धीरे-धीरे आजादी की मांग का रूप ले सकता है। यही कारण है कि शाहबाज़ शरीफ़ सरकार इस आंदोलन को लेकर बेहद चिंतित है। अब नज़रें इस बात पर टिकी हैं कि आने वाले दिनों में यह आंदोलन किस दिशा में जाएगा और पाकिस्तान सरकार इसे कैसे संभालती है।
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