प्रयागराज महाकुंभ 2025: मिश्री मठ के करौली शंकर ने कहा शिविर में संकल्प के साथ अनुष्ठान करता हूँ! 

कोई चमत्कारी विद्या नहीं, हम संकल्प और अनुष्ठान के जरिये इसे सीमित करते हैं, ताकि दूसरे के मर्मों का फल किसी अन्य को न मिले।

प्रयागराज महाकुंभ 2025: मिश्री मठ के करौली शंकर ने कहा शिविर में संकल्प के साथ अनुष्ठान करता हूँ! 

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प्रयागराज महाकुंभ में देश और विदेश के कोने-कोने से आये श्रद्धालुओं द्वारा आस्था की डुबकी के साथ अपने पुण्य को अर्जित पर मुक्ति के द्वार को और सुगम बनाया गया| इसी बीच देश के  विभिन्न मठों और दुर्गम तपस्वियों के दर्शन का लाभ भी श्रद्धालुओं को प्रदान हुए| इनमे मिश्री मठ के मठाधिपतिकरौली शंकर का भी इस महाकुंभ में शिविर लगा हुआ है| बता दें कि मिश्र मठ के करौली शंकर का देश- विदेश में लाखों भक्त हैं। महाकुंभ के संगम लोअर मार्ग सेक्टर 12 में उनका शिविर लगा है। यहां हर दिन संकल्प के साथ 15 घंटे अनुष्ठान चलता है। दूर-दूर से भक्त यहां अनुष्ठान कराने पहुंच रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि हम कोई चमत्कार नहीं करते है। हम सूक्ष्म और स्थूल की बात करते हैं। स्थूल को हम देख सकते हैं और सूक्ष्म को महसूस कर सकते हैं। इन्हीं सूक्ष्म तत्वों के जरिये हम लोगों की क्रिया कराते हैं। हमारे यहां ब्राह्मणों के द्वारा संकल्प और अनुष्ठान कराया जाता है।

ओम और शिव तो हर कोई जानता है। बिना शिव और बैलेंस के कुछ नहीं हो सकता है। अगर हाथ की उंगुलियों का संतुलन (बैलेंस) बिगड़ जाए तो आप परेशानी और दर्द में आ जाएंगे। इन्हें संतुलित रखने को ही बैलेंस कहते हैं। हम जब सूक्ष्म तत्वों से कोई चीज सही करते हैं, तो इनका संतुलन बनाने के लिए ऐसे शब्द बोलते हैं।

दरअसल, हम किसी व्यक्ति के कुल को डीएनए कहते हैं। व्यक्ति के कुल में अनेक व्यक्ति हो सकते हैं। इनके पुण्य और पाप एक दूसरे में स्थानांतरित होते रहते हैं। जिसके कारण अनेक परेशानियां आती हैं। हम संकल्प और अनुष्ठान के जरिये इसे सीमित करते हैं, ताकि दूसरे के मर्मों का फल किसी अन्य को न मिले।

करौली शंकर ने कहा कि स्मृतियां नष्ट हो सकती हैं। अगर व्यक्ति अच्छा सोचने लगे, तो उसके विचार बदल जाएंगे और स्मृतियां नष्ट हो जाएंगी। मेडिकल साइंस पूर्ण तो है नहीं। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद की कोई ऐसी दवा जो बंद करनी पड़ी हो या कहा गया हो कि इसका जनरेशन बदल गया है। नहीं, न। 

वही, उन्होंने एलोपैथी पर भी अपने विचार रखते हुए कहा कि आए दिन ऐसा हो रहा है। कोई न कोई दवा कभी किसी कमी के नाम पर तो कभी जनरेशन के नाम पर बदल दी जाती हैं या बंद कर दी जाती हैं। लेकिन सवाल तो यह है कि तब तक कितने लोग इन दवाओं को खा चुके होंगे। क्या होगा उन लोगों का। विश्व में आज भी फर्जी सर्जरी के आंकड़े बहुत ज्यादा हैं। इन्हें कम करना है।

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