‘कुक्कुटासन’ एक संस्कृत शब्द है, जिसमें ‘कुक्कुट’ का अर्थ होता है ‘मुर्गा’ और ‘आसन’ का अर्थ होता है ‘मुद्रा’। इस आसन को करते समय शरीर मुर्गे की तरह दिखता है, जिस वजह से इस आसन को ‘कुक्कुटासन’ कहते हैं।
शुरुआत में ‘कुक्कुटासन’ करने में थोड़ी मुश्किलें होती हैं, लेकिन नियमित करने से शरीर को कई सारे लाभ मिलते हैं। यह शरीर को लचीला बनाने के साथ-साथ दिल का खास ख्याल रखता है।
आयुष मंत्रालय ने कुक्टासन को एक शक्तिशाली योगासन बताया है, जो शरीर और मन को संतुलित करता है। इस आसन को करने पर पूरा शरीर आपकी हथेलियों और बाजुओं के बल पर टिकता है।
इस आसन को नियमित करने से पेट की चर्बी घटाने में मदद मिलती है और पाचन तंत्र भी मजबूत रहता है। रीढ़ की हड्डी लचीली होती है और शरीर में रक्त संचार बढ़ता है। साथ ही मानसिक रूप से यह एकाग्रता और ध्यान लगाने में भी मदद करता है।
गर्भवती महिलाओं और हाई ब्लड प्रेशर या हृदय रोग से पीड़ित लोगों को भी इसे करने से बचना चाहिए। शुरुआती लोगों को योग प्रशिक्षक की देखरेख में इसका अभ्यास शुरू करना चाहिए।
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