बेंगलुरु में शुक्रवार (21 मार्च) से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तीन दिवसीय वार्षिक बैठक शुरू हो गई। सरसंघचालक मोहन भागवत ने इसका उद्घाटन किया। इस बैठक में संगठन की गतिविधियों की समीक्षा के साथ आगामी अभियानों की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी सीआर मुकुंदा ने बताया कि इस वर्ष 25 से 40 आयु वर्ग के 1.63 लाख नए स्वयंसेवक जुड़े हैं, जबकि 40 साल से ऊपर के 20,000 लोगों ने संघ की सदस्यता ली है। 2012 से अब तक करीब 12.73 लाख लोग आरएसएस से जुड़े हैं और महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी है। अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में भी संगठन का विस्तार हो रहा है।
महाकुंभ के दौरान संघ ने सेवा कार्यों का आयोजन किया, जिसमें नेत्र परीक्षण शिविरों में 2.37 लाख से अधिक लोगों की आंखों की जांच की गई और 17,000 से अधिक मोतियाबिंद के ऑपरेशन कराए गए। मणिपुर में जारी अशांति को लेकर भी चर्चा हुई, जहां पिछले 20 महीनों से तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं। संघ ने उम्मीद जताई कि जल्द ही शांति बहाल होगी, हालांकि इसमें समय लग सकता है।
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इस बैठक में 1500 से अधिक कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं, जिनमें क्षेत्रीय और राज्य स्तरीय पदाधिकारी शामिल हैं। संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बताया कि इस वार्षिक बैठक को संघ की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था माना जाता है। बैठक के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, तुलसी गौड़ा, राम जन्मभूमि न्यास के ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल सहित कई प्रमुख हस्तियों को श्रद्धांजलि भी दी गई।
बता दें की अखिल भारतीय प्रतिनिधी बैठक 23 मार्च तक चलेगी, जिसमें संगठन की आगामी रणनीति और अभियानों पर विस्तृत चर्चा होनी है।