भारतीय रुपये ने मार्च महीने में डॉलर के मुकाबले जबरदस्त मजबूती दर्ज की है। अब तक रुपया 2 प्रतिशत से अधिक बढ़ चुका है, जो नवंबर 2018 के बाद सबसे अच्छा मासिक प्रदर्शन है। रुपये की मजबूती का मुख्य कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों (FPI) द्वारा भारतीय शेयर बाजार में भारी निवेश और डॉलर इंडेक्स में आई कमजोरी को माना जा रहा है।
फरवरी में वैश्विक अस्थिरता के चलते रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर 87.95 तक पहुंच गया था, लेकिन इसके बाद से इसमें लगातार सुधार हुआ है। मौजूदा समय में डॉलर के मुकाबले रुपया 85.58 पर ट्रेड कर रहा है।
गुरुवार (27 मार्च) को भारतीय इक्विटी बाजार में एफपीआई ने करीब 1.2 अरब डॉलर का निवेश किया। बीते छह कारोबारी सत्रों में यह आंकड़ा 6 अरब डॉलर को पार कर चुका है। इसके अलावा, भारतीय बॉन्ड बाजार में भी विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ी है। मार्च में अब तक 3 अरब डॉलर से अधिक का निवेश भारतीय बॉन्ड्स में आया है।
इस बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा अप्रैल में संभावित रेपो रेट कटौती के संकेतों के चलते निवेशकों का रुझान और बढ़ा है। डॉलर इंडेक्स, जो अन्य प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती दर्शाता है, फरवरी में 108 के करीब था, लेकिन अब गिरकर 104 पर आ गया है। इसका कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में कटौती के संकेत हैं।
अमेरिकी फेड ने हालिया बैठक में इस साल दो बार ब्याज दरों में कटौती का संकेत दिया है। जब अमेरिका में ब्याज दरें घटती हैं, तो डॉलर कमजोर होता है और निवेशक उभरती अर्थव्यवस्थाओं की ओर रुख करते हैं। इसी का फायदा भारतीय रुपये को भी मिल रहा है। रुपये की यह मजबूती बाजार के लिए सकारात्मक संकेत है, जो आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था को और मजबूती देने में मददगार साबित हो सकती है।.
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