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व्लादिमीर पुतिन के आगे वैगनर ग्रुप ने टेका घुटना, प्राइवेट आर्मी वापस लौटी 

12 घंटे के बाद ही रूस की प्राइवेट आर्मी ने हथियार डाल दिया। बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के इस मामले में हस्तक्षेप के बाद ग्रुप के लड़ाके लौट गए।

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12 घंटे के बाद ही रूस की प्राइवेट आर्मी ने हथियार डाल दिया। रूस की प्राइवेट आर्मी वैगनर ग्रुप  ने 23 जून को रुसी की सेना के साथ बगावत कर दिया था। जिसके बाद यह ग्रुप 24 जून को रोस्तोव शहर पर कब्जा करने का का दावा किया था। वहीं, उसी दिन रूस के राष्ट्रपति  व्लादिमीर पुतिन ने वैगनर ग्रुप द्वारा बगावत किये जाने को रूसी जनता के पीठ में छुरा घोंपने वाला बताया। इतना ही नहीं पुतिन ने इस ग्रुप के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का भी आदेश दिया था।

कई रिपोर्टों में कहा गया था कि वैगनर ग्रुप के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन रूस का तख्ता पटल की मंशा से यह कदम उठाया है। हालांकि वैगनर ग्रुप के मुखिया ने दावों को नकार दिया था। हालांकि रविवार को कहा गया की रूस और वैगनर ग्रुप में समझौता हो गया। बताया जा रहा है बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के इस मामले में हस्तक्षेप के बाद ग्रुप के लड़ाके  लौट गए।  वैसे यह पहली बार नहीं है। इससे पहले भी पुतिन ने अपने 22 साल के कार्यकाल में  कई विद्रोहियों को पीछे हटाने के लिए मजबूर किया है।

12 अगस्त 2000 में रूस की न्यूक्लियर सबमरीन क्रूस्क का समुद्र भीतर बड़ा हादसा हो गया।  इस हादसे में 118 लोगों की मौत हो गई।  जिस पुतिन एक शब्द भी नहीं बोला था। इस घटना के बाद पुतिन की खूब आलोचना हुई थी। गौरतलब है कि इस दौरान पुतिन कार्यवाहक राष्ट्रपति थे। उन्होंने 1999 में इस पद को संभाला था।  उन्हें 2000 में राष्ट्रपति बनाया गया।

23 अक्टूबर 2002 को मॉस्को के एक थियेटर में चेचेन्या के 50 विद्रोहियों ने 850 लोगों को बंदी बना लिया था। विद्रोहियों की मांग थी कि रुसी सैनिक चेचन्या  तुरंत हट जाएं नहीं तो बंधक बनाये गए 850 लोगों को मौत के घाट उतार दिया जाएगा। इसके बाद पुतिन ने अपने सभी  कार्यक्रम रद्द कर दिया था। उसके बाद रुसी कमांडो ने कई विद्रोहियों पर कार्रवाई करते हुए ढेर कर दिया।

 

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