विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की विदेश मंत्रियों की बैठक में आतंकवाद पर भारत की सख्त नीति को दोहराया और कहा कि, “जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में अप्रैल में हुए आतंकी हमले का उद्देश्य राज्य की तेजी से बढ़ती पर्यटन अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना और धार्मिक विभाजन पैदा करना था।” जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की उस कड़ी निंदा का हवाला दिया जो उसने इस हमले के बाद जारी की थी, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी, और SCO से आग्रह किया कि वह आतंकवाद के खिलाफ बिना समझौते वाली स्थिति अपनाए।
जयशंकर ने कहा,”इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि ये (आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद) अक्सर एक साथ घटित होते हैं। हाल ही में, भारत में हमने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में इसका स्पष्ट उदाहरण देखा। यह हमला जानबूझकर जम्मू-कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को कमजोर करने और धार्मिक विभाजन के बीज बोने के लिए किया गया था।” उन्होंने कहा कि भारत उन आतंकवादियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए प्रयासरत है, जो इस भयावह हमले में शामिल थे।
जयशंकर ने SCO के सदस्यों से अपील की कि वे आतंकवाद के खिलाफ अपनी मूल प्रतिबद्धता को याद रखें,”आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए ब्लॉक की प्रतिबद्धता से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। हमें सामूहिक और दृढ़ता से कार्य करना चाहिए।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत नवीन विचारों और प्रस्तावों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखता रहेगा, लेकिन यह सहयोग आपसी सम्मान, संप्रभु समानता और भौगोलिक अखंडता के सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए।
यह टिप्पणी चीन की बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना की वैश्विक आलोचना के संदर्भ में अहम मानी जा रही है, जिसे कई देश संप्रभुता का उल्लंघन और अपारदर्शी परियोजना मानते हैं। भारत ने पहले भी BRI पर आपत्ति जताई है, विशेषकर इसका हिस्सा बनने वाले पाकिस्तान-चीन आर्थिक गलियारे (CPEC) को लेकर।
बैठक के इतर जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और चीन के विदेश मंत्री वांग यी से द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने पर बातचीत की। एक सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने कहा,“आज दोपहर तियानजिन में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ हमारे द्विपक्षीय सहयोग और वैश्विक विकास की समीक्षा की।” यह भी समझा जा रहा है कि दोनों नेताओं ने पश्चिम एशिया की सुरक्षा स्थिति सहित क्षेत्रीय परिदृश्यों पर भी विचार-विमर्श किया।
जयशंकर ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की और उन्हें भारत-चीन संबंधों में हालिया प्रगति से अवगत कराया। यह मुलाकात दोनों देशों के बीच जारी सीमा तनाव और व्यापारिक संतुलन के बीच कूटनीतिक संकेत मानी जा रही है।
भारत ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंकवाद के मुद्दे पर कोई नरमी नहीं बरतेगा, चाहे वह स्थानीय हो या सीमापार से प्रायोजित। पहलगाम हमला सिर्फ एक हमला नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक समृद्धि पर सुनियोजित हमला था। जयशंकर की तीखी टिप्पणियां SCO के मंच से यह भी दर्शाती हैं कि भारत की विदेश नीति अब पहले से कहीं अधिक मुखर, आत्मविश्वासी और सिद्धांत-आधारित हो चुकी है।
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