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एसबीआई रिपोर्ट: रेयर अर्थ मिनरल की खोज को राज्यों की भागीदारी से मिल रहा बढ़ावा!

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम

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चीन द्वारा रेयर अर्थ मिनरल (दुर्लभ खनिजों) के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद भारत में इन खनिजों की खोज और उत्पादन को लेकर गतिविधियां तेज हो गई हैं। सोमवार (28 जुलाई) को जारी भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के विभिन्न राज्य सरकारों की सक्रिय भागीदारी से रेयर अर्थ मिनरल की खोज और खनन को व्यापक रूप से प्रोत्साहन मिल रहा है। यह न केवल रीजनल इकॉनमिक डेवलपमेंट को बल देगा, बल्कि भारत को इस रणनीतिक क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी अहम साबित होगा।

रिपोर्ट के अनुसार, पिछले चार वर्षों में भारत का रेयर अर्थ मिनरल आयात औसतन 249 मिलियन डॉलर रहा, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 में यह आंकड़ा बढ़कर 291 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया, जो इस अवधि का उच्चतम स्तर है।

एसबीआई के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्य कांति घोष ने कहा, “हमारे विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि चीन के प्रतिबंध का सबसे अधिक असर ट्रांसपोर्ट इक्विपमेंट, बेसिक मेटल्स, मशीनरी, कंस्ट्रक्शन, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर्स पर पड़ेगा। इससे न केवल घरेलू उत्पादन बल्कि निर्यात भी प्रभावित होंगे।”

भारत सरकार ने क्रिटिकल मिनरल सेक्टर में आत्मनिर्भरता के उद्देश्य से वर्ष 2025 से 2031 की अवधि के लिए 18,000 करोड़ रुपये के कुल बजट के साथ नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन (NCMM) की शुरुआत की है। इस मिशन के तहत एक मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर और घरेलू वैल्यू-चेन तैयार करने की योजना है।

एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने में राज्यों की निर्णायक भूमिका होगी। कई राज्यों ने पहले ही एक्सप्लोरेशन लाइसेंस (ईएल) की नीलामी के लिए टेंडर जारी कर दिए हैं। उदाहरणस्वरूप, ओडिशा सरकार की इंडस्ट्रियल पॉलिसी रिजॉल्यूशन 2022 के अंतर्गत रेयर अर्थ मिनरल्स आधारित मूल्यवर्धित उत्पादों को प्राथमिकता क्षेत्र में रखा गया है। राज्य ने गंजम जिले में 8,000 करोड़ रुपये की टाइटेनियम उत्पादन इकाई को मंजूरी दी है, जिससे हाई-टेक्नोलॉजी मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन मिलेगा।

एसबीआई की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत विदेशी संसाधन-संपन्न देशों में क्रिटिकल मिनरल एसेट्स की खोज और अधिग्रहण में भी निवेश करेगा। इसके लिए सार्वजनिक उपक्रमों और निजी कंपनियों को नीति, वित्तपोषण और अंतर-मंत्रालयी समन्वय के जरिए सहयोग दिया जाएगा।

बैंकिंग सेक्टर को लेकर रिपोर्ट में कहा गया, “क्रिटिकल मिनरल सेक्टर बैंकों के लिए एक व्यावसायिक अवसर के रूप में उभर रहा है। इसके लिए बैंकों को विशेष नीति फोकस और रणनीतिक दिशा तय करनी होगी।” यह रिपोर्ट भारत की खनिज नीति को लेकर नई संभावनाओं और चुनौतियों का संकेत देती है और यह भी स्पष्ट करती है कि आने वाले वर्षों में भारत इस क्षेत्र में वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हो रहा है।

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