सुप्रीम कोर्ट में आज यानी 27 जुलाई को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) पर सुनवाई हुई। इस फैसले के बाद ईडी को राहत मिली और सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तारी के ईडी के अधिकार को बरकरार रखा| सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।
याचिकाकर्ताओं ने पीएमएलए अधिनियम में गिरफ्तारी और जब्ती से संबंधित प्रावधानों पर आपत्ति जताई थी। इसमें इस अधिनियम के तहत एक ईआईआरसी शामिल है क्योंकि पुलिस शिकायत के दौरान प्राथमिकी दर्ज की जाती है। इस मामले में आरोपी को दिखाने से पहले ही गिरफ्तार करने का प्रावधान है| इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में ढाई सौ से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई थीं| हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए इस संबंध में कोई बदलाव का संकेत दिए बिना ईडी के अधिकार सुरक्षित रख लिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। ईसीआईआर (शिकायत प्रति) भी आरोपी को देने की जरूरत नहीं है। अदालत ने कहा कि आरोपी को यह सूचित करने के लिए पर्याप्त है कि उसे किस आरोप में गिरफ्तार किया गया है। ऐसे में ईडी को बड़ी राहत मिली है|
सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। ईसीआईआर (शिकायत प्रति) भी आरोपी को देने की जरूरत नहीं है। अदालत ने कहा कि आरोपी को यह सूचित करने के लिए पर्याप्त है कि उसे किस आरोप में गिरफ्तार किया गया है। ऐसे में ईडी को बड़ी राहत मिली है|
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