भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) जाने वाले अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज सोमवार (14 जुलाई) को शाम 4:30 बजे अंतरिक्ष स्टेशन से अनडॉक करेंगे। शुक्ला की यह ऐतिहासिक यात्रा भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में बढ़ती ताकत और महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक बन चुकी है। इस यात्रा का सीधा प्रसारण नासा की ओर से किया जाना है।
Ax-4 मिशन के तहत शुभांशु शुक्ला और उनके तीन अंतरराष्ट्रीय सहयोगी SpaceX के ड्रैगन यान के ज़रिए अपनी वापसी यात्रा शुरू करेंगे। उनका स्प्लैशडाउन 15 जुलाई को भारतीय समयानुसार दोपहर 3:00 बजे कैलिफ़ोर्निया तट के पास होगा। 18 दिनों की इस अंतरिक्ष यात्रा के दौरान शुक्ला और Ax-4 टीम ने 60 से अधिक उन्नत वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें जीवविज्ञान, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मटेरियल साइंस और मानव स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों को शामिल किया गया।
शुक्ला की अहम भूमिकाओं में से एक रही ‘Sprouts Project’, जिसके अंतर्गत यह अध्ययन किया गया कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में बीज कैसे अंकुरित होते हैं और प्रारंभिक पौधा विकास पर इसका क्या प्रभाव होता है। ISS पर उगाए गए इन बीजों को अब पृथ्वी पर कई पीढ़ियों तक उगाया जाएगा ताकि उनके जैनेटिक परिवर्तन, माइक्रोबियल इकोसिस्टम और न्यूट्रिशन प्रोफाइल पर अध्ययन किया जा सके। इस शोध का महत्व भविष्य की अंतरिक्ष कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
शुक्ला ने माइक्रोएल्गी पर भी प्रयोग किए जो अंतरिक्ष में भोजन, ऑक्सीजन और बायोफ्यूल के स्रोत के रूप में कार्य कर सकते हैं। यह दीर्घकालिक अंतरिक्ष अभियानों में जीवन समर्थन प्रणाली का एक संभावित विकल्प है। इसके अलावा, उन्होंने माइक्रोग्रैविटी में ग्लूकोज मॉनिटरिंग पर भी प्रयोग किया, जिससे भविष्य में विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों वाले अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी।
Ax-4 टीम ने मानसिक स्वास्थ्य और अंतरिक्ष में नए स्पेससूट सामग्री के प्रदर्शन पर भी अध्ययन किए, जो भविष्य के मिशनों में सहायक सिद्ध होंगे। मिशन के दौरान शुभांशु शुक्ला ने वीडियो कॉल के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संवाद किया और ISRO प्रमुख वी. नारायणन से टेलीफोन पर बातचीत की। इस बातचीत में उन्होंने गगनयान मिशन की प्रगति और संभावनाओं पर चर्चा की।
13 जुलाई को हुए विदाई समारोह में शुक्ला ने एक भावुक संदेश दिया, जिसमें उन्होंने ISRO, अपने अंतरराष्ट्रीय साथियों और भारत की जनता का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, “यह मिशन सिर्फ मेरा व्यक्तिगत पड़ाव नहीं, बल्कि यह दिखाता है कि मानवता मिलकर क्या कुछ कर सकती है। मैं चाहता हूं कि हमारा काम भारत और दुनिया भर के युवाओं को सीमाओं के पार सपने देखने की प्रेरणा दे।”
उन्होंने भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा को याद करते हुए कहा, “आज भारत अंतरिक्ष से देखे जाने पर और भी साहसी, आत्मविश्वासी और गौरवान्वित नजर आता है। भारत अब भी ‘सारे जहाँ से अच्छा’ है।”
अनडॉकिंग के बाद चार सदस्यीय दल को पृथ्वी पर लौटने में करीब 21 घंटे का समय लगेगा। स्प्लैशडाउन के बाद शुभांशु शुक्ला को 7 दिन के पुनर्वास कार्यक्रम से गुजरना होगा ताकि वह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुरूप दोबारा ढल सकें। इस बीच उनके परिवार वाले उन्हें वापस पाने के लिए एक भव्य स्वागत की तैयारी कर रहे हैं और देश इस गौरव के पल का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।
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