शुभांशु शुक्ला और क्रू के अन्य सदस्यों के धरती पर सुरक्षित उतरने के बाद उन्हें सात दिनों तक आइसोलेशन में रखा जाएगा। दरअसल 18 दिन शून्य गुरुत्वाकर्षण में बिताने के बाद अंतरिक्षयात्रियों को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण वाले वातावरण में सामंजस्य बिठाने में कुछ दिन का वक्त लग जाता है। इस दौरान उनकी स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा निगरानी की जाएगी। भारत लौटने से पहले ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को कई शारीरिक और मनोवैज्ञानिक जांच से गुजरना होगा।
शुभांशु शुक्ला के गृहनगर लखनऊ में गजब उत्साह है। शहर भर में जगह-जगह ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के पोस्टर लगे हुए हैं, जिनमें उन्हें शुभकामनाएं दी गई हैं। पूरा लखनऊ शहर अपने बेटे की वापसी का इंतजार कर रहा है और शहर के लोग दुआएं कर रहे हैं। शुभांशु शुक्ला के घर को रोशनी से सजाया गया है और घर पर उत्सव जैसा माहौल है।
मंगलवार सुबह करीब साढ़े सात बजे हीट शील्ड को तैयार किया गया। दोपहर करीब डेढ़ बजे कैप्सूल पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा। इसके बाद करीब ढाई बजे हीट शील्ड पृथ्वी के वायुमंडल में तेजी से आगे बढ़ेगी, जिसके चलते हीट शील्ड का तापमान 1600 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा और यही चरण सबसे चुनौतीपूर्ण होगा।
धरती के वायुमंडल में सफलतापूर्वक दाखिल होने के बाद धरती की सतह से करीब 5.7 किलोमीटर ऊपर कैप्सूल का पहला पैराशूट खुलेगा और जब कैप्सूल धरती से दो किलोमीटर ऊपर रह जाएगा, तब दूसरा पैराशूट खुलेगा। इसके बाद कैप्सूल दोपहर करीब तीन बजे कैलिफोर्निया के समुद्र में लैंड होगा।
शुभांशु शुक्ला की 8 चरण में धरती पर वापसी होगी। पहले चरण में सोमवार शाम 4.45 बजे शुभांशु शुक्ला और एक्सिओम-4 मिशन के क्रू के अन्य सदस्यों को लेकर ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट आईएसएस से अलग हुआ। शाम 5.11 बजे कैप्सूल का इंजन बर्न ऑन किया गया।
शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन के तहत 25 जून को तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के लिए रवाना हुए। अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पहुंचने वाले शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय हैं। शुभांशु ने आईएसएस पर 18 दिन बिताए और इस दौरान वहां कई रिसर्च कार्य किए।
जयंती विशेष: ‘पीपुल्स जनरल’ वीके कृष्ण राव को देश ने किया याद!



