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Thursday, December 25, 2025
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आज लौटेंगे शुभांशु, यान थोड़ी देर में पृथ्वी वायुमंडल में दाखिल होगा!

​18 दिन शून्य गुरुत्वाकर्षण में बिताने के बाद अंतरिक्षयात्रियों को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण वाले वातावरण में सामंजस्य बिठाने में कुछ दिन का वक्त लग जाता है।

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भारत का बेटा शुभांशु शुक्ला 20 दिन अंतरिक्ष में और 18 दिन अंतरिक्ष स्टेशन पर बिताने के बाद आज धरती पर वापस लौट रहा है। इसके लिए पूरे देश में प्रार्थनाओं का दौर चल रहा है। शुंभाशु शुक्ला और क्रू के अन्य सदस्यों को लेकर ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट का कैप्सूल मंगलवार को दोपहर 3 बजे कैलिफोर्निया के समुद्र में उतरेगा। शुभांशु शुक्ला का यान सोमवार शाम करीब 4.45 बजे अंतरराष्ट्रीय स्पेश स्टेशन से अनडॉक हुआ। 
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शुभांशु शुक्ला और क्रू के अन्य सदस्यों के धरती पर सुरक्षित उतरने के बाद उन्हें सात दिनों तक आइसोलेशन में रखा जाएगा। दरअसल 18 दिन शून्य गुरुत्वाकर्षण में बिताने के बाद अंतरिक्षयात्रियों को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण वाले वातावरण में सामंजस्य बिठाने में कुछ दिन का वक्त लग जाता है। इस दौरान उनकी स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा निगरानी की जाएगी। भारत लौटने से पहले ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को कई शारीरिक और मनोवैज्ञानिक जांच से गुजरना होगा।

शुभांशु शुक्ला के गृहनगर लखनऊ में गजब उत्साह है। शहर भर में जगह-जगह ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के पोस्टर लगे हुए हैं, जिनमें उन्हें शुभकामनाएं दी गई हैं। पूरा लखनऊ शहर अपने बेटे की वापसी का इंतजार कर रहा है और शहर के लोग दुआएं कर रहे हैं। शुभांशु शुक्ला के घर को रोशनी से सजाया गया है और घर पर उत्सव जैसा माहौल है।

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने 18 दिन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर बिताए। इस दौरान उन्होंने 60 प्रयोगों को अंजाम दिया, जिनमें से सात प्रयोग इसरो के थे। शुभांशु अपने साथ 263 किलो वैज्ञानिक सामान लेकर धरती पर लौट रहे हैं, जिससे भविष्य में अंतरिक्ष कार्यक्रमों को बड़ी मदद मिल सकती है।
साल 2027 में इसरो अपना पहला मानव मिशन गगनयान लॉन्च करेगा। ऐसे में शुभांशु शुक्ला का यह मिशन इसरो के लिए बेहद अहम है। शुभांशु शुक्ला को एक्सिओम-4 मिशन पर भेजने के लिए भारत ने 550 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
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मंगलवार सुबह करीब साढ़े सात बजे हीट शील्ड को तैयार किया गया। दोपहर करीब डेढ़ बजे कैप्सूल पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा। इसके बाद करीब ढाई बजे हीट शील्ड पृथ्वी के वायुमंडल में तेजी से आगे बढ़ेगी, जिसके चलते हीट शील्ड का तापमान 1600 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा और यही चरण सबसे चुनौतीपूर्ण होगा।
दरअसल जब अंतरिक्ष यान पृथ्वी की परिक्रमा करने के बाद उसे धरती पर उतारा जाएगा तो उसकी गति को कम किया जाएगा। इसके लिए यान गति को कम करने के लिए अंतरिक्ष यान के थ्रस्टर्स (छोटे इंजन) को एक निश्चित समय और दिशा में दागा जाता है। इस प्रक्रिया को ही ‘डी-ऑर्बिट बर्न’ कहते हैं।

धरती के वायुमंडल में सफलतापूर्वक दाखिल होने के बाद धरती की सतह से करीब 5.7 किलोमीटर ऊपर कैप्सूल का पहला पैराशूट खुलेगा और जब कैप्सूल धरती से दो किलोमीटर ऊपर रह जाएगा, तब दूसरा पैराशूट खुलेगा। इसके बाद कैप्सूल दोपहर करीब तीन बजे कैलिफोर्निया के समुद्र में लैंड होगा।

नासा के विशेषज्ञों के मुताबिक, पानी एक प्राकृतिक कुशन की तरह काम करता है, जो कठोर जमीनी लैंडिंग की तुलना में अंतरिक्ष यात्रियों पर पड़ने वाले प्रभाव बल को कम करता है। यही वजह है कि अंतरिक्ष यात्रियों की लैंडिंग के लिए जमीन के बजाय समुद्र का चुनाव किया जाता है। इसे स्प्लैशडाउन कहा जाता है।

शुभांशु शुक्ला की 8 चरण में धरती पर वापसी होगी। पहले चरण में सोमवार शाम 4.45 बजे शुभांशु शुक्ला और एक्सिओम-4 मिशन के क्रू के अन्य सदस्यों को लेकर ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट आईएसएस से अलग हुआ। शाम 5.11 बजे कैप्सूल का इंजन बर्न ऑन किया गया।

शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन के तहत 25 जून को तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के लिए रवाना हुए। अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पहुंचने वाले शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय हैं। शुभांशु ने आईएसएस पर 18 दिन बिताए और इस दौरान वहां कई रिसर्च कार्य किए।

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