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Wednesday, December 24, 2025
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अजमेर में सिंदूर का पेड़ बना आकर्षण, रेगिस्तान में हिमाचली छटा!

इस प्राकृतिक सिंदूर का उपयोग मंदिरों में पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। रासायनिक तत्वों से मुक्त यह सिंदूर न केवल सुरक्षित है, बल्कि इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है, जिससे इसकी मांग बढ़ती जा रही है।

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राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में स्थित अजमेर शहर का कुंदन नगर इस दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां एक अद्भुत प्राकृतिक चमत्कार देखने को मिला है। जाटोलिया परिवार के घर में एक ऐसा दुर्लभ पेड़ मौजूद है जो प्राकृतिक और केमिकल फ्री सिंदूर उत्पन्न करता है। यह पेड़ आमतौर पर हिमाचल की तराईयों में पाया जाता है और इसका रेगिस्तानी इलाकों में मिलना अत्यंत ही दुर्लभ माना जा रहा है। यही वजह है कि यह पेड़ अब आस्था और आकर्षण का केंद्र बन गया है।

इस प्राकृतिक सिंदूर का उपयोग मंदिरों में पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। रासायनिक तत्वों से मुक्त यह सिंदूर न केवल सुरक्षित है, बल्कि इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है, जिससे इसकी मांग बढ़ती जा रही है।

जगदीश विजयवर्गीय बताते हैं कि जाटोलिया परिवार के मुखिया अशोक जाटोलिया यह पेड़ भोपाल से लेकर आए थे। उन्होंने इसका अपनी संतान की तरह पालन-पोषण किया है। अशोक जाटोलिया इसकी पूजा भी करते हैं। उनका मानना है कि यह पेड़ घर में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद इस पेड़ की लोकप्रियता और बढ़ गई है। इस पहल के माध्यम से लोगों को इसके धार्मिक और प्राकृतिक महत्व के बारे में जानकारी दी गई, जिससे अब दूर-दराज से लोग इस पेड़ को देखने और इसका सिंदूर लेने के लिए कुंदन नगर पहुंच रहे हैं। रेगिस्तान जैसे शुष्क क्षेत्र में ऐसे पेड़ का होना वास्तव में आश्चर्यजनक है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह पेड़ केवल वनस्पति नहीं, बल्कि ईश्वरीय आशीर्वाद है।

लोगों यह भी मानते हैं कि सिंदूर का यह पेड़ न सिर्फ अजमेर शहर, बल्कि पूरे राजस्थान के लिए गौरव का विषय है। यह पेड़ दर्शाता है कि प्रकृति जब चाहती है, तो वह किसी भी सीमित वातावरण में भी चमत्कार कर सकती है। यह पेड़ अब अजमेर की पहचान बन गया है, जो लोगों को प्रकृति से जुड़ने और उसकी शक्ति को समझने की प्रेरणा देता है।

स्थानीय जगदीश विजयवर्गीय ने बताया कि हिमाचल की तराई में पाए जाने वाला इस सिंदूर के पौधे से कड़ाके की ठंड यानी नवंबर से फरवरी तक सिंदूर निकलता है । इसमें न तो तेल मिलाने की जरूरत होती है और न ही कुछ और मिलाने की ‍जरूरत है। इसमें किसी भी प्रकार का कोई रसायन नहीं होता है।

वहीं, स्थानीय महिला अनुराधा विजयवर्गीय ने बताया कि उनके पति के मित्र अशोक यह पेड़ भोपाल से लेकर आए थे। उन्‍होंने बताया कि राजस्‍थान में यह एक हीं पेड़ है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद इसकी महत्‍ता बढ़ गई है।
 
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