एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि हैदराबाद की हुसैन सागर और दो झीलें कोरोना से संक्रमित
हो गई हैं, तो सवाल उठाना लाजमी है कि क्या गंगा नदी भी …..
मुंबई। हैदराबाद की हुसैन सागर झील और शहर की अन्य दो झीलें कोविड -19 से संक्रमित पाई गई है। यह खुलासा एक स्टडी में हुआ है। अब सवाल उठने लगा है कि क्या इसी तरह गंगा और यमुना नदी भी संक्रमित हो गई हैं, क्योंकि कोरोना के दूसरी लहर में इन नदियों में बेतहाशा शव बहाये गए हैं। इतना ही नहीं इन नदियों के आसपास शवों को दफनाया गया भी है. स्टडी में साफ कहा गया है कि आबादी से जो गंदा पानी झील में आया, उसी वजह से वायरस का जेनेटिक मटेरियल झील के पानी में पहुंचा. यहां तो कोरोना से हुई मौत के बाद उन्हें अधजला या ऐसे ही नदी में प्रवाहित कर दिया जा रहा है। गंगा और यमुना के आसपास बसे लोगों में इस बात का डर है कि कहीं उनमें भी यह बीमारी न आ जाय।
किसने किया स्टडी ?
भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (IICT) और सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB)है दराबाद और एकेडमी ऑफ साइंटिफिक एंड इनोवेटिव रिसर्च गाजियाबाद ने यह स्टडी की है। शोधकर्ताओं के अनुसार पानी के अंदर कोरोना वायरस की मौजूदगी का पता लगाने की लिए यह स्टडी की गई है। अन्य देशों में भी इस तरह की रिसर्च की किये गए हैं। स्टडी की रिपोर्ट 12 मई को प्रीप्रिंट सर्वर ‘मेडरक्सिव’ में प्रकाशित किया गया.
यहां फैला वायरस
हैदराबाद के हुसैन सागर के साथ पेड्डा चेरुवु या नचाराम झील और कुकटपल्ली के पास प्रगतिनगर में निज़ाम तालाब या तुर्क चेरुवु झील भी कोरोना संक्रमित पाई गई है। जबकि शहर के बाहरी इलाकों में मौजूद एडुलाबाद और पोथराजू झीलें कोरोना वायरस के संक्रमण से फिलहाल मुक्त हैं.
गंदे पानी में मिले थे संक्रमण
इससे पहले हुए रिसर्च टीम ने सीवेज और वेस्ट वॉटर में वायरस की मौजूदगी का खुलासा किया था। अब शहर की झीलों को भी इसमें जोड़ा गया है। स्टडी के मुताबिक शहर की झीलों में कोरोना मौजूद है.7 महीने से चल रही इस स्टडी में पहले और दूसरे कोरोना लहर को शामिल किया गया है.
यह कारण है झील के संक्रमित होने का
स्टडी के मुताबिक आबादी से जो गंदा पानी झील में आया है, इसी वजह से वायरस का जेनेटिक मटेरियल झील के पानी में पहुंचा. सभी शहर की झीलें नगरपालिका के सीवरेज नेटवर्क से जुड़ी हुई हैं और गंदे पानी का एक बड़ा हिस्सा इन जल निकायों में छोड़ दिया जाता है. हालांकि स्टडी ये भी कहा गया है कि इस झील के पानी से कोरोना संक्रमण आगे नहीं फैला है.
स्टडी के मुताबिक आबादी से जो गंदा पानी झील में आया है, इसी वजह से वायरस का जेनेटिक मटेरियल झील के पानी में पहुंचा. सभी शहर की झीलें नगरपालिका के सीवरेज नेटवर्क से जुड़ी हुई हैं और गंदे पानी का एक बड़ा हिस्सा इन जल निकायों में छोड़ दिया जाता है. हालांकि स्टडी ये भी कहा गया है कि इस झील के पानी से कोरोना संक्रमण आगे नहीं फैला है.
तो क्या गंगा और यमुना भी हुईं संक्रमित
इस स्टडी को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भारत की पूजनीय नदी गंगा और यमुना भी कोरोना से संक्रमित हो गई होंगी? क्योंकि जिस तरह कोरोना की दूसरी लहर में उत्तर प्रदेश और बिहार के कई जिलों में अधजले शव और कच्चे शव गंगा और यमुना में पाए गए, इसमें दी रे नहीं होनी चाहिए। इतना ही नहीं नदियों के किनारे भी शवों को दफनाया गया है। इसके अलावा आबादी से आया गंदा पानी भी इसमें छोड़ा जा रहा है। हालांकि इस का खुलासा स्टडी होने पर ही पता चलेगा,लेकिन इतना तो कहा जा सकता है कि इतने बड़े पैमाने पर शव मिलने से ये नदियां दूषित तो हुई ही होंगी?