जल्द आएगी नाक से दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन, जानिए कौन-कौन देश बना रहे? 

जल्द आएगी नाक से दी जाने वाली कोरोना वैक्सीन, जानिए कौन-कौन देश बना रहे? 
नई दिल्ली। कोरोना से लड़ने के लिए हर दिन दवा बनाने वाली कंपनियां नई खोज कर रही हैं। एक ओर बच्चों के लिए वैक्सीन तैयार की जा रही है,वहीं दूसरी तरफ, नाक से दी जाने वाली वैक्सीन पर काम किया जा रहा है। अगर दवा कंपनियों को इसमें कामयाबी मिल जाती है तो कोरोना की लड़ाई में एक बहुत बड़ा हथियार मिल जायेगा।  5 मई को WHO द्वारा दी जानकारी के मुताबिक कुल 7 इंट्रानेजल वैक्सीन पर काम जारी है. इनका क्लिनिकल ट्रायल यूके, यूएस, भारत, चीन जैसे देशों में जारी है.
भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने बताया कि अगले 5 महीनों के बीच 216 करोड़ वैक्सीन डोज उपलब्ध कराई जाएंगी और दिसंबर तक भारत बायोटेक अपनी नेजल वैक्सीन (नाक से दी जाने वाली वैक्सीन) के 10 करोड़ डोज बना सकती है. वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल जारी है. को वैक्सीन बनाने वाली स्वदेशी वैक्सीन कंपनी भारत बायोटेक का कहना है कि उनकी नेज़ल वैक्सीन BBV154 वायरस की एंट्री पर हमारे इम्यून सिस्टम के जरिए रिस्पॉन्स दिलाने में कामयाब होगी.
सीरम COVI-VAC वैक्सीन
भारत के सीरम इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर अमेरिकी कंपनी कोडाजेनिक्स (Codagenix) इंट्रानेज़ल वैक्सीन COVI-VAC पर काम कर रही है. यह सिंगल डोज वाली वाली कोविड-19 रोधी वैक्सीन होगी. कंपनी का कहना है कि ये वैक्सीन कोविड-19 के कई स्ट्रेन के खिलाफ इम्यूनिटी देने के लिए तैयार की जा रही है.
अमेरिका की नेजल वैक्सीन
ऑल्टइम्यून नाम की कंपनी एडकोविड नाम की वैक्सीन बना रही है जो नाक के जरिए दी जाएगी. यह वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल के पहले चरण में है.
फिनलैंड भी बना रहा
नेजल वैक्सीन पर फिनलैंड की कंपनी रोकोटे लैबोरेट्रीज भी काम कर रही है. यह एक इंट्रानेज़ल वैक्सीन होगी.
कनाडा की कंपनी का नेजल स्प्रे
कनाडा स्थित कंपनी सैनोटाइज ने डेवलप किया है और ब्रिटेन में किए गए दूसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल सफल रहे हैं। यूके में हुए टेस्ट में ये 79 कोरोना पॉजिटिव मामलों में पाया गया कि सैनोटाइज शुरुआती इलाज में कारगर है।
वहीं, दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल ने बताया है कि जिन लोगों ने वैक्सीन ली है  उसमें से 97.38 फीसदी लोगों का कोरोना से बचाव होता है, जबकि सिर्फ 0.06 फीसदी लोगों को ही अस्पताल तक जाने की जरूरत पड़ सकती है। अस्पताल ने जानकारी एक स्टडी के हवाले से दी है।
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