हल्द्वानी के बनभूलपुरा में 4000 से ज्यादा घरों पर चलने वाले बुलडोजर पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। वहीं इस मामले में उत्तराखंड सरकार और रेलवे को नोटिस जारी कर सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा है। कोर्ट ने सात दिन के अंदर अतिक्रमण हटाने के आदेश पर भी सवाल उठाया। कोर्ट का कहना है कि इस मामले में मानवीय पहलू को भी ध्यान में रखना होगा। इस मामले में कुछ व्यावहारिक समाधान खोजने की जरूरत है। मामले की अगली सुनवाई सात फरवरी को होगी। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद करीब 50 हजार से ज्यादा लोगों को थोड़ी राहत मिल गई है।
हल्द्वानी का जो इलाका अतिक्रमण बताया जा रहा है। वह करीब 2.19 किमी लंबी रेलवे लाइन का क्षेत्र है। वहीं रेल अधिकारियों का कहना है कि रेल लाइन से 400 फीट से लेकर 820 फीट चौड़ाई तक अतिक्रमण है। जबकि रेलवे करीब 78 एकड़ जमीन पर कब्जे का दावा कर रहा है। अतिक्रमित जमीन पर पांच सरकारी स्कूल, 11 प्राइवेट स्कूल, मंदिर, मस्जिद, मदरसे और पानी की टंकी के साथ ही सरकारी स्वास्थ्य केंद्र भी शामिल है। जिन इलाकों में बुलडोजर चलना है उनमें ढोलक बस्ती, गफूर बस्ती, लाइन नंबर 17, नई बस्ती, इंद्रानगर छोटी रोड, इंद्रानगर बड़ी रोड शामिल हैं।
दरअसल बीते 20 दिसंबर को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे भूमि से अतिक्रमण की बात मानते हुए इसे हटाने का आदेश दे दिया था। वहीं इस बीच 2 जनवरी को प्रभावितों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जिस पर आज सुनवाई हुई। जिसके बाद कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया। इस पूरे इलाके में करीब पचास से साठ हजार लोग रहते हैं। इनमें से करीब 35 हजार लोगों के पास वोटर आईडी कार्ड है। इन लोगों का कहना है ये कई दशकों से यहां रह रहे हैं। कुछ लोगों का तो दावा है कि वो यहां 70-80 साल से रह रहे हैं। वहीं अगर सुप्रीम कोर्ट से स्टे नहीं मिलता तो 10 जनवरी को जिला प्रशासन इस पर बुलडोजर चला देता।
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