सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील को कड़ी फटकार लगाई जो एक केस की सुनवाई टालने की मांग कर रहे थे। अदालत ने कहा कि सिर्फ किसी सीनियर वकील का नाम लेने से सुनवाई नहीं टलेगी। सुप्रीम कोर्ट में एक सुनवाई के दौरान वकील ने पीठ से सुनवाई स्थगित करने की मांग की क्योंकि एक वरिष्ठ वकील सुनवाई में शामिल होने वाले थे। इस पर पीठ ने वकील को फटकार लगाई और सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर आपको लगता है कि किसी बड़े वकील का नाम लेकर आप मामले की सुनवाई स्थगित करा लेंगे तो आपका ये सोचना गलत है।
दरअसल यह मामला एक व्यावसायिक विवाद से जुड़ा था। वकील ने अदालत से रिक्वेस्ट किया कि सुनवाई चार हफ्ते के लिए टाल दी जाए, क्योंकि सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे इस वक्त देश से बाहर हैं और वही इस केस पर बहस करेंगे। पीठ के वकील द्वारा सुनवाई की तारीख बदलने को लेकर जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने नाराजगी जताई। अदालत ने कहा, “क्या आपको लगता है कि अगर आप किसी सीनियर वकील का नाम लेंगे, तो हम सुनवाई टाल देंगे? यह आदत अब बंद होनी चाहिए।”
न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखने की हिदायत देते हुए बेंच ने कहा कि बार के वकीलों को यह समझना होगा कि अदालत सिर्फ बड़े या सीनियर वकीलों के नाम सुनकर फैसले नहीं लेती। इस तरह की आदत को रोकने की जरूरत है।
हालांकि, बाद में जब मामला दोबारा सुनवाई के लिए आया तो अदालत ने वकील की अपील स्वीकार करते हुए अगली तारीख दे दी। इसके बावजूद कोर्ट ने साफ कर दिया कि सिर्फ सीनियर वकील का नाम लेना सुनवाई टालने का आधार नहीं बन सकता।
सुप्रीम कोर्ट पहले भी वकीलों को अदालत की गरिमा बनाए रखने की हिदायत दे चुका है। इससे पहले जनवरी में भी अदालत ने एक वकील को फटकार लगाई थी क्योंकि वकील अपनी कार से ही सुनवाई में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए थे। अदालत ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए वकील को फटकारा था और अदालत की गरिमा बनाए रखने का निर्देश दिया था।
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