एक न्यायाधीश को निष्पक्ष होना चाहिए। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह किसी भी चीज़ से आंखें मूंद लें और रोबोट की तरह काम करें। सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट के फैसले की आलोचना करते हुए इसका जिक्र किया है|पटना हाई कोर्ट ने एक आरोपी को मौत की सजा सुनाई|आरोपी पर 2015 में घर पर टीवी देखने आई 11 साल की बच्ची से रेप करने का आरोप है| यह भी आरोप है कि उसने दुष्कर्म के बाद बच्ची का गला घोंट दिया।
आरोपी पर क्या है आरोप?: आरोपी पर 11 साल की बच्ची से रेप और हत्या का आरोप है। इस मामले की जांच में कई त्रुटियां पाये जाने की बात उजागर करते हुए कोर्ट ने मामले को पटना हाईकोर्ट भेज दिया| क्योंकि आरोपियों के वकीलों ने इस मामले में कोर्ट द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को चुनौती दी थी| इसमें स्पष्ट किया गया कि यह घटना 1 जून 2015 को हुई थी| इस मामले में भागलपुर कोर्ट ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई थी| मामला जब पटना हाई कोर्ट में गया तो 2018 में फांसी की सजा बरकरार रखी गई| इसके बाद आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया|
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है?: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में साफ कर दिया है कि अगर जांच अधिकारी की जांच रिपोर्ट में गलतियां हैं और मामले में गंभीर गलती है तो मेडिकल जांच क्यों नहीं कराई गई? जांच अधिकारी ने अपने द्वारा की गई गलतियों के बारे में स्पष्टीकरण क्यों नहीं दिया? यह सवाल वापस पटना हाईकोर्ट को भेज दिया गया है| सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस मामले में पटना हाईकोर्ट को जजों की एक संविधान पीठ बनानी चाहिए और इस मामले में सही फैसला लेना चाहिए|सुप्रीम कोर्ट ने इस बात का भी जिक्र किया है कि आरोपी 9 साल से जेल में है|
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