सर्वोच्च न्यायलय:’मियां-तियां’ और ‘पाकिस्तानी’ कहना अनुचित व्यवहार है, अपराध की श्रेणी में नहीं आता!

सर्वोच्च न्यायलय:’मियां-तियां’ और ‘पाकिस्तानी’ कहना अनुचित व्यवहार है, अपराध की श्रेणी में नहीं आता!

Supreme Court: Saying 'Miyan-Tiyaan' and 'Pakistani' is inappropriate behaviour, does not fall in the category of crime!

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के बोकारो निवासी हरिनंदन सिंह की अपील पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया कि किसी व्यक्ति को ‘मियां-तियां’ या ‘पाकिस्तानी’ कहकर पुकारना अनुचित हो सकता है, लेकिन इसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 298 के तहत धार्मिक भावनाएं आहत करने वाला अपराध नहीं माना जा सकता।

न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इस निर्णय के साथ हरिनंदन सिंह के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द कर दिया। यह मामला बोकारो के चास अनुमंडल कार्यालय में कार्यरत उर्दू अनुवादक मो. शमीमुद्दीन की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि हरिनंदन सिंह ने उनके धर्म का जिक्र करते हुए अपमानजनक शब्द कहे, जिससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं।

शिकायत के आधार पर पुलिस ने जांच के बाद चार्जशीट दाखिल की थी, जिसके बाद 2021 में मजिस्ट्रेट ने उनके खिलाफ संज्ञान लेते हुए समन जारी किया था। उन पर आईपीसी की धारा 353 (लोक सेवक को उसके कार्य से रोकने के लिए हमला या बल प्रयोग), धारा 298 (धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिए शब्दों का उपयोग), और धारा 504 (शांतिभंग के लिए अपमान) के तहत आरोप लगाए गए थे।

हरिनंदन सिंह ने पहले जिला अदालत और फिर झारखंड हाईकोर्ट में आरोप मुक्त होने की अपील की, लेकिन राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि एफआईआर में आरोपी द्वारा किसी भी प्रकार के हमले या बल प्रयोग का उल्लेख नहीं था, जिससे धारा 353 लागू नहीं होती।

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इसके अलावा, अदालत ने माना कि आरोपी द्वारा ऐसा कोई कार्य नहीं किया गया जिससे शांति भंग होने की स्थिति उत्पन्न हो, इसलिए धारा 504 के तहत भी आरोप नहीं टिकता। अदालत ने कहा कि ‘मियां-तियां’ और ‘पाकिस्तानी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल भले ही अनुचित और गलत व्यवहार का उदाहरण हो, लेकिन इसे धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला अपराध नहीं माना जा सकता।

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