आज सुप्रीम कोर्ट में जहांगीरपुरी हिंसा के बाद की कार्रवाई पर सुनवाई हुई, जिसमें दिल्ली नगर निगम के द्वारा अतिमक्रमण के खिलाफ बुलडोजर अभियान चलाया गया था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलीलें दी कि सिर्फ मुसलमानों को प्रताड़ित किया जा रहा है।
हालांकि, सरकार ने आंकड़ों के साथ इसका विरोध किया। सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से कहा, ‘एक समुदाय को निशाना बनाने का आरोप गलत है। मध्य प्रदेश में खरगांव में 88 प्रभावित पक्ष हिंदू हैं। मुझे खेद है कि मुझे उन्हें विभाजित करना पड़ा। सरकार ऐसे करना नहीं चाहती है, लेकिन, इसके लिए मुझे मजबूर किया जा रहा है।’
आपको बता दें कि सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा, ”मेरे पास ऐसी तस्वीरें हैं जिनमें एक समुदाय के लोगों के घरों को तोड़ दिया गया। यह उनके भीतर डर पैदा करने की एक प्रक्रिया है। इसपर जज जे राव ने कहा कि आप किस राहत का दावा कर रहे हैं।
इस पर सिब्बल ने कहा, ”आप अतिक्रमणों को एक समुदाय से नहीं जोड़ सकते। अतिक्रमण ए और बी समुदाय तक सीमित नहीं हैं। आप केवल यह कहकर घरों को ध्वस्त नहीं कर सकते कि उन पर अतिक्रमण है। यह मंच यह दिखाने के लिए है कि कानून का शासन कायम है।” उन्होंने आगे कहा, ‘हमें विध्वंस पर रोक चाहिए।’ सिबल की इस मांग पर जज जे राव ने कहा हम देश भर में विध्वंस नहीं रोक सकते हैं।
सिब्बल ने फिर कहा, ”अतिक्रमण गलत है। लेकिन क्या आप मुसलमानों को अतिक्रमण से जोड़ रहे हैं।” जस्टिस राव ने फिर पूछा, किसी हिंदू संपत्ति को तोड़ा नहीं गया? सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया, “यह मामला जहांगीरपुरी तक सीमित नहीं है। यह हमारे देश के सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करने वाला मामला है। अगर इसकी इजाजत दी गई तो कानून का राज नहीं बचेगा।
भाजपा के अध्यक्ष ने नगर निगम आयुक्त को पत्र लिखकर विध्वंस शुरू करने के लिए और वे उसके बाद ध्वस्त कर देते हैं? नगर निगम अधिनियम नोटिस, अपील की सेवा प्रदान करता है..ओल्गा टेलिस मामले को देखें, जहां सुप्रीम कोर्ट ने संरक्षित किया है।”
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