टेक्सास में हाल ही में स्थापित भगवान हनुमान की 90 फुट ऊंची प्रतिमा पर अमेरिका में सियासी तूफ़ान खड़ा हो गया है। यह प्रतिमा अगस्त 2024 में श्री अष्टलक्ष्मी मंदिर में स्थापित की गई थी और इसे उत्तर अमेरिका की सबसे ऊंची हनुमान प्रतिमा माना जाता है। लेकिन रिपब्लिकन पार्टी के नेता और सीनेट उम्मीदवार अलेक्ज़ेंडर डंकन के आपत्तिजनक बयान ने अब हिंदू समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है।
डंकन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर प्रतिमा का वीडियो साझा करते हुए लिखा, “हम टेक्सास में एक झूठे हिंदू भगवान की झूठी मूर्ति क्यों लगने दे रहे हैं? हम एक ईसाई राष्ट्र हैं!” उन्होंने आगे बाइबिल का हवाला देते हुए लिखा, “मेरे सिवा तुम्हारा कोई और ईश्वर न हो। तुम्हें अपने लिए किसी भी प्रकार की मूर्ति नहीं बनानी चाहिए…”
हिंदू संगठनों और भारतीय-अमेरिकियों का गुस्सा
इस टिप्पणी पर अमेरिका स्थित हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF) ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी से सवाल किया कि क्या वे अपने सीनेट उम्मीदवार के खिलाफ कार्रवाई करेंगे, जिसने खुले तौर पर धार्मिक भेदभाव और अमेरिकी संविधान के फर्स्ट अमेंडमेंट का उल्लंघन किया है। फाउंडेशन ने इसे “विरोधी हिन्दू और भड़काऊ” करार दिया।
भारतीय-अमेरिकी उद्यमी तपेश यादव ने भी डंकन की आलोचना करते हुए कहा, “मैं लगभग हमेशा रिपब्लिकन को वोट करता हूं, लेकिन यह देखना दुखद है कि डंकन टेक्सास GOP के ‘स्वतंत्रता’ और ‘सभी के लिए अवसर’ के सिद्धांतों का उल्लंघन कर रहे हैं।”
ट्रंप प्रशासन पर बढ़ रहा असंतोष
यह विवाद ऐसे समय में उभरा है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और वीज़ा नीतियों को लेकर तनाव बना हुआ है। ट्रंप प्रशासन द्वारा H-1B वीज़ा शुल्क 100,000 डॉलर करने के फैसले से भारतीय समुदाय पहले से ही नाराज है। इससे पहले, ट्रंप के सहयोगी पीटर नवारो ने भारतीय ब्राह्मणों पर विवादित टिप्पणी की थी, जिस पर भी भारतीय-अमेरिकी समाज ने गहरी आपत्ति जताई थी।
MAGA समर्थकों की नाराज़गी
हनुमान प्रतिमा का विरोध केवल डंकन तक सीमित नहीं है। ट्रंप के कट्टर समर्थक MAGA ग्रुप लगातार सोशल मीडिया पर इसे निशाना बना रहे हैं। कुछ ने इसे “राक्षसी” तक कहा और अमेरिकी मीडिया के कुछ शीर्षकों ने भी हिंदू समुदाय को आहत किया। Newsweek ने इसे “टेक्सास में विशाल अर्ध-बंदर, अर्ध-मानव प्रतिमा पर रूढ़िवादी प्रतिक्रिया” शीर्षक से छापा, जिसे हिंदू संगठनों ने अपमानजनक बताया। कुछ चरमपंथी कंजरवेटिव्स ने तो यहां तक कहा कि यह प्रतिमा जॉर्ज फ्लॉयड से मिलती-जुलती है। वह अश्वेत व्यक्ति जिसकी 2021 में पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी और जिसने अमेरिका में व्यापक विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया था।
विश्लेषकों का मानना है कि डंकन का यह बयान रिपब्लिकन पार्टी और भारतीय-अमेरिकी समुदाय के रिश्तों को और खराब कर सकता है। पहले से ही वीज़ा और व्यापार नीतियों को लेकर असंतोष गहरा रहा है, और अब धार्मिक विवाद ने इसमें नई दरार डाल दी है।
टेक्सास की यह प्रतिमा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि भारतीय-अमेरिकी पहचान का भी हिस्सा है। ऐसे में इस विवाद ने अमेरिका में हिंदुओं के बीच गहरी बेचैनी पैदा कर दी है।
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