नई दिल्ली। जून के पहले हफ्ते से लाकडाउन से राहत मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। आर्थिक गतिविधियां बहाल होंगी। पाजिटिविटी दर तय मानक के दायरे में आने के बावजूद इस पर नजर रखनी होगी कि संख्या फिर से बढ़नी शुरू न हो। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जहां भी संक्रमण दर 10 फीसद से नीचे है और यह लगातार कम होने की दिशा में है, वहां गतिविधियां शुरू होनी चाहिए। ऐसे जिलों की संख्या बढ़ी है और यह संकेत है कि देश दूसरी लहर से बाहर निकलने की राह पर है। पिछले तीन हफ्ते के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, बिहार जैसे राज्यों में पाजिटिविटी दर पांच फीसद से कम या उसके आसपास आ गई है। इन राज्यों में पाजिटिविटी की दर और नए मामलों की संख्या मार्च के अंतिम हफ्ते के स्तर पर पहुंच गई है, जब कोई लॉकडाउन नहीं था। अधिकांश राज्यों ने लाकडाउन का फैसला 15 अप्रैल के आसपास किया था, जब कई जगहों पर पाजिटिविटी दर 36-37 फीसद तक पहुंच गई थी। जून के पहले हफ्ते से कई राज्यों में लाकडाउन से राहत मिलने की उम्मीद जताते हुए वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पाजिटिविटी दर कम होने के बावजूद लाकडाउन बढ़ाने का फैसला दो वजहों से लिया गया। एक तो लाकडाउन खुलने के तत्काल बाद पाजिटिविटी दर का बढ़ना तय माना जा रहा है। दूसरा मौजूदा सक्रिय मरीजों की संख्या अब भी बहुत ज्यादा बनी हुई है। ऐसे में उन राज्यों को ज्यादा सतर्क होने की जरूरत है जहां पाजिटिविटी दर कम होने के बावजूद सक्रिय मामलों की संख्या बहुत ज्यादा है। लाकडाउन हटाने का फैसला अलग-अलग राज्य अपने स्वास्थ्य ढांचे, पाजिटिविटी दर और सक्रिय मामलों के आधार पर करेंगे।