कोर्ट ने मंगलवार को यह भी स्पष्ट किया कि फैसले के गुण-दोष की नहीं, बल्कि जिस प्रक्रिया से इसे लिया गया है, उसकी जांच की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्थिक नीतियों की न्यायिक समीक्षा की सीमाएं हैं, लेकिन हम नोटबंदी के फैसले पर चुप नहीं बैठेंगे।
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ केंद्र सरकार द्वारा 2016 में लिए गए नोटबंदी के फैसले को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। लेना एस.ए.मंगलवार को नजीर की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के समक्ष बहस करते हुए आरबीआई के वकील जयदीप गुप्ता ने कहा, ‘नोटबंदी की निर्णय लेने की प्रक्रिया में कोई त्रुटि नहीं थी|
असंवैधानिक आर्थिक नीतियां न्यायिक समीक्षा के अधीन नहीं हो सकतीं। इन नीतियों में आर्थिक मुद्दों को विशेषज्ञों पर छोड़ देना चाहिए| कोर्ट ने कहा कि हम फैसले के सही होने की बात करें तो सरकार को सोचना चाहिए कि नागरिकों के लिए क्या सही है|लेकिन ऐसा करते समय यह चेक किया जा सकता है कि सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है या नहीं।
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