साल 2023 के पहले ही दिन साल के पहले बड़े आंदोलन की तस्वीर सामने आई है। देशभर में लाखों की तादाद में जैन समाज के लोग सड़क पर उतर गए हैं। दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और हर छोटे-बड़े शहर में ऐसी ही तस्वीर दिख रही है। हाथों में तख्तियां हैं और जुबान पर नारे हैं। ये लोग जैन मुनियों के नाम का जयकार लगा रहे हैं। जैन समाज ”श्री सम्मेद शिखर तीर्थ” को पर्यटन स्थल बनाने और शत्रुंजय पर्वत पर भगवन आदिनाथ की चरण पादुकाओं को खंडित करने वालों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है। जैन धर्म के तीर्थराज के रुप में इसकी मान्यता है। ये तीर्थ ‘पारसनाथ पर्वत’ के नाम से भी मशहूर है। श्री सम्मेद शिखर तीर्थ झारखंड के गिरिडीह में है। जैन समाज के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने ये यहां मोक्ष प्राप्त किया था। उनकी मांग है कि सम्मेद शिखर को टूरिस्ट सेंटर ना बनाया जाए। अपनी मांगों को लेकर जैन समाज का एक डेलीगेशन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने पहुंचा है।
दिल्ली में जैन समाज के लोगों ने बड़ी संख्या में रैली निकली है। हज़ारों की भीड़ इंडिया गेट पर पहुंच गई है। उनके हाथों में झंडे और पोस्टर बैनर हैं। महारैली को रोकने के लिए पुलिस को बैरिकेड लगाने पड़े हैं। लेकिन फिर भी लोग बैरिकेड पर चढ़ कर प्रोटेस्ट कर रहे हैं। वहीं मुंबई में भी कुछ ऐसी ही तस्वीर देखने को मिली है। वहां सड़क पर जनसैलाब उमड़ पड़ा। अपने तीर्थस्थल को टूरिस्ट प्लेस बनाने के ख़िलाफ़ हज़ारों की भीड़ रोड पर आ गई है। ऐसा लगता है जैसे मुंबई में रहने वाले हर जैन परिवार से कोई ना कोई सदस्य इस महारैली में शामिल होने निकल पड़ा है।
इसके अलावा पहली बार अहमदाबाद की सड़क पर एक लाख लोग जैन समाज के लोगों ने अपना शक्ति-प्रदर्शन किया। एक लाख लोगों ने दस किलोमीटर तक मार्च निकाला। हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था कि जैन समाज कम है कमजोर नहीं है। दरअसल जैन समाज ”श्री सम्मेद शिखर तीर्थ” को पर्यटन स्थल बनाने का विरोध कर रहा है। श्री सम्मेद शिखर तीर्थ झारखंड में मौजूद है। इसके पीछे दलील ये दी जा रही है कि पर्यटन स्थल बनाने से तीर्थ की पवित्रता को खतरा है। पर्यटन स्थल बनाने का फैसला झारखंड सरकार ने लिया है। बता दें कि श्री सम्मेद शिखर तीर्थ जैन समाज का सर्वोच्च तीर्थ है। जैन समाज की आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है।
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