बांदा।भगवान का आधार कार्ड नहीं होने पर सरकारी क्रय केंद्र ने रामजानकी विराजमान मंदिर की जमीन पर उपजा गेहूं खरीदने से मना कर दिया। अब जबकि सरकारी केंद्र ने गेहूं लेने से मना कर दिया तो मंदिर के महंत ने मजबूरी में आढ़तियों को बेच दिया। जानकारी के अनुसार मंदिर के महंत ने मंदिर के जमीं पर उपजे गेहूं को सरकारी केंद्र में बेचने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई किया था ,लेकिन केंद्र के अधिकारियों ने यह कह कर रजिस्ट्रेशन करने से मना कर दिया की आधार कार्ड नहीं है। रामजानकी विराजमान मंदिर के महंत राम कुमार दास ने बताया कि मंदिर के नाम करीब सात हेक्टेयर जमीन है। बतौर संरक्षक कागजात में उनका ही नाम है। इस बार 100 क्विंटल से ज्यादा गेहूं हुआ था। फसल बेचने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया तो पंजीयन रद्द कर दिया गया। अधिकारियों से संपर्क किया तो आधार कार्ड की अनिवार्यता बताई गई। जिसके नाम जमीन, उसी का आधार कार्ड होना चाहिए था। भगवान के नाम पर जमीन होने से उनका आधार कार्ड नामुमकिन है। मजबूरन फसल को आढ़तियों के हाथ बेचना पड़ा। महंत ने कहा कि एक ओर सरकार फसल के सरकारी विक्रय पर जोर दे रही है। दूसरी ओर इतने प्रतिबंध हैं कि फसल आप बेच ही नहीं सकते हैं। उन्होंने बताया कि आंधी-पानी और बारिश का समय है, फसल मंडी में भिजवा दी थी। वहां से ही आढ़तियों ने 1700 प्रति कुंतल के हिसाब से खरीद की, जबकि 1975 रुपए प्रति कुंतल सरकारी खरीद है। महंत के अनुसार 61 कुंतल गेहूं आढ़तियों को बेचा गया, शेष मंदिर प्रांगण में साल भर की जरूरत के लिए रख गया है। महंत का आरोप है कि आढ़तियों को गेहूं एसडीएम के राय पर बेची गई।