बीबीसी की एक रिपोर्ट में दावा किया गया की महाराष्ट्र के पालघर में स्थित एक भारतीय दवा कंपनी कुछ अफ्रीकी देशों को इन दवाओं के निर्यात में शामिल थी, जिससे वहां स्वास्थ्य संकट पैदा हो रहा है। दरम्यान भारत के औषधि एवं महानियंत्रक डॉ.राजीव सिंह रघुवंशी ने शुक्रवार (21 फरवरी) को बताया कि टैपेंटाडोल और कैरीसोप्रोडोल के उत्पादन और निर्यात की अनुमति वापस ली गई है।
एवियो फार्मास्यूटिकल्स नामक एक भारतीय दवा कंपनी घाना, नाइजीरिया और कोटे डी आइवर जैसे देशों में दो दवाओं का मिश्रण निर्यात कर रही थी। बीबीसी की एक खोजी रिपोर्ट में कथित तौर पर इन दर्दनिवारक देशों में गंभीर ओपिओइड की लत पैदा कर करने की है। बता दें की, टैपेंटाडोल एक मजबूत ओपिओइड है और इसका उपयोग गंभीर दर्द से राहत के लिए किया जाता है, जबकि कैरिसोप्रोडोल एक मांसपेशी आराम करने वाली दवा है जिसका उपयोग गंभीर मामलों या दर्दनाक हड्डी की स्थिति में किया जाता है।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, एवियो फार्मास्यूटिकल्स बिना मंजूरी के इन दो दर्दनिवारक दवाओं के संयोजन के रूप में टैफ्रोडोल ब्रांड का निर्माण कर रहा था। बीबीसी इंडिया द्वारा किए गए एक स्टिंग ऑपरेशन में, कंपनी के अधिकारियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने दवा बेचने के लिए नाइजीरिया और अन्य अफ्रीकी देशों में किशोरों को निशाना बनाया।
दौरान महाराष्ट्र के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने रविवार (23 फरवरी) को औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत एवियो फार्मास्यूटिकल्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। केंद्र और राज्य सरकार के औषधि निरीक्षकों की संयुक्त टीम ने मुंबई में कंपनी की फैक्ट्री पर छापा मारकर पूरा स्टॉक जब्त किया है। कंपनी को दवा बनाने से प्रतिबंधित कर दिया गया है। साथ ही केंद्र सरकार ने शुक्रवार को एक परामर्श जारी कर सभी राज्य सरकारों को टेपेंटाडोल और कैरीसोप्रोडोल के सभी अस्वीकृत संयोजनों के लिए निर्यात एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) वापस लेने और इन दवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए विनिर्माण अनुमति रद्द करने का निर्देश दिया गया।
बता दें की टेपेंटाडोल, एक शक्तिशाली ओपिओइड और कैरिसोप्रोडोल एक मांसपेशी आराम करने वाली दवा है जिसके संयोजन से अत्यधिक नशा हो सकता है। कैरिसोप्रोडोल यूरोप में प्रतिबंधित है और इसे अमेरिका में कम अवधि के लिए उपयोग करने की अनुमति है। कथित तौर पर दो दवाओं के संयोजन को दुनिया में कहीं भी उपयोग के लिए लाइसेंस नहीं दिया गया है क्योंकि इसके हानिकारक दुष्प्रभावों में ओवरडोज से मृत्यु की घटनाएं भी हो चुकी है। ऐसा संयोजन भारत में भी बेचा नहीं जाता और कंपनी इसे केवल अफ्रीका में बेच रही थी। हालांकि यह ओपिओइड अपनी सस्ती कीमत और व्यापक उपलब्धता के कारण पश्चिमी अफ्रीकी देशों में लोकप्रिय है। गौरतलब है की यह दोनों दवाएं नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) की सूची में शामिल नहीं हैं, और इसी कारण कंपनी इनका उत्पादन और निर्यात करने में सक्षम थी।