मुंबई। हिंदू और हिंदुत्व से अब अन्य धर्मियों को इतना व्देष होने लगा है कि उन्हें इसका तोड़ निकालने के लिए विश्व स्तर पर चर्चा सत्र करना पड़ रहा है। पता चला है कि यह चर्चा सत्र हिंदुओं को जड़ से उखाड़ने के लिए है। दुनिया भर के हिंदू विरोधियों ने हिंदुत्व को विश्व स्तर पर मिटाने के लिए 10 से 12 सितंबर तक ‘ डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व ‘ नाम से ऑनलाइन चर्चा की रखी है।
हिंदुत्व के खिलाफ जहर उगलने वालों का जमघट
10 सितंबर से 12 सितंबर तक सुबह 9.30 बजे से दोपहर 3 बजे के दरमियान होने जा रहा यह हिंदूविरोधी चर्चासत्र नॉर्थ-वेस्टर्न, बर्कले, शिकागो, कोलंबिया, हार्वर्ड, पेन, प्रिंसटन और स्टैनफोर्ड आदि 40 विश्वविद्यालयों द्वारा प्रायोजित है। इसमें आनंद पटवर्धन, आयशा किदवई, बानो सुब्रमण्यम, भंवर मेघवंशी, क्रिस्टोफर जेफरलॉट, कविता कृष्णन, मीना कंडासामी, मोहम्मद जुनैद, नंदिनी सुंदर, नेहा दीक्षित, पी. शिवकामी आदि हिंदू विरोधी वक्ता हिस्सा लेंगे। शुक्रवार 10 सितंबर को ‘ वैश्विक हिंदुत्व क्या है ?’ , ‘ हिंदुत्व का राजनीतिक अर्थशास्त्र क्या ‘ तथा ‘ जाति और हिंदुत्व ‘,शनिवार 11 सितंबर को ‘ हिंदुत्व की लिंग आधारित और लैंगिक राजनीति ‘ , ‘ राष्ट्र की रूपरेखा ‘, ‘ हिंदुत्व विज्ञान और स्वास्थ्य’ के साथ ही रविवार 12 सितंबर को ‘ हिंदुत्व का प्रचार और डिजिटल मीडिया ‘ सहित ‘ हिंदुत्व और श्वेतवर्णियों का वर्चस्व ‘ विषय पर चर्चा होगी। चर्चा सत्र के इन विषयों से यह तस्वीर साफ है कि आयोजक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को उखाड़ फेंकने की योजना बना रहे हैं।
विदेशी शक्तियों का बड़ा हाथ
भारत के 75 वें स्वतंत्रता दिवस पर,लंदन में कुछ भारत विरोधी समूहों ने मोदी के इस्तीफे की मांग करते हुए बैनर फहराए थे। चर्चा है कि ऐसे सेमिनारों के पीछे इन्हीं विदेशी ताकतों का हाथ है। किसान आंदोलन, सीएएस आंदोलन से साबित हो रहा है कि इसमें विदेशी शक्तियों का बड़ा हाथ है और इन आंदोलनों को विदेशों से वित्त-पोषण किया जा रहा है। पर्यावरण के नाम पर ग्रेटा थनबर्ग जैसे भारत विरोधी रुख अपनाने वालों के असली चेहरे भी सामने आ गए हैं, अब भारत के खिलाफ यह नया साजिशी प्रयोग भी सामने आ रहा है।