पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद शुक्रवार (10 अक्तूबर)को सुरक्षा घेरे में तब्दील हुई है, चरमपंथी इस्लामी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के हजारों समर्थकों ने गाजा में फिलिस्तीनियों की मौत के विरोध में अमेरिका दूतावास की ओर मार्च करने की कोशिश की। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में दो लोगों की मौत हो गई, जबकि कई दर्जन लोग घायल हुए।
TLP कार्यकर्ताओं का यह मार्च गुरुवार को लाहौर से शुरू हुआ, लेकिन पुलिस ने उन्हें राजधानी की ओर बढ़ने से रोक दिया। इसके बाद झड़पें शुरू हो गईं और हिंसा भड़क उठी। डॉन अखबार के मुताबिक, TLP ने दावा किया कि उसके दो सदस्य मारे गए, जबकि पुलिस सूत्रों के अनुसार एक की मौत हुई। दर्जनों लोग, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल थे, घायल हो गए। कई वाहनों और संपत्तियों को नुकसान पहुंचा। TLP ने इसके बाद शुक्रवार को “फ़ाइनल कॉल मार्च” की घोषणा की, जिसमें संगठन के हजारों समर्थकों ने इस्लामाबाद की ओर कूच करने की तैयारी शुरू कर दी।
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) पाकिस्तान के कट्टरपंथी धार्मिक संगठन तहरीक-ए-लब्बैक या रसूल अल्लाह (TLYR) का राजनीतिक विंग है। संगठन ने यह प्रदर्शन फिलिस्तीन के समर्थन और अमेरिका की नीतियों के खिलाफ विरोध जताने के लिए बुलाया था। मार्च का गंतव्य इस्लामाबाद का रेड जोन था — जहां अमेरिकी दूतावास, अन्य विदेशी मिशन और कई महत्वपूर्ण सरकारी कार्यालय स्थित हैं।
पाकिस्तानी प्रशासन ने राजधानी को “फोर्ट्रेस ज़ोन” में तब्दील कर दिया है। रेड जोन की सभी एंट्री प्वाइंट्स पर कंटेनर और बैरिकेड्स लगा दिए गए हैं। इस्लामाबाद और रावलपिंडी में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं। फ़ैज़ाबाद इंटरचेंज पहले भी TLP प्रदर्शनों का केंद्र रहा है, उसे पूरी तरह सील कर दिया गया है। मरी रोड के होटलों को खाली कराने के आदेश दिए गए हैं ताकि सुरक्षा बलों की तैनाती हो सके।
गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान टेलीकम्यूनिकेशन अथॉरिटी (PTA) को देशभर में कम्युनिकेशन नेटवर्क बाधित करने का निर्देश दिया है ताकि संगठन के समर्थकों का आपसी संपर्क टूट जाए। इस्लामाबाद और उसके आसपास के इलाकों में दुकानें बंद, सड़कों पर सन्नाटा और सुरक्षा बलों की गश्त जारी है। पुलिस और अर्धसैनिक बलों को “हाई अलर्ट” पर रखा गया है।
अमेरिकी दूतावास सहित सभी विदेशी मिशनों को सुरक्षा एजेंसियों ने चौकसी बढ़ाने की सलाह दी है।
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) अपने कट्टर इस्लामी एजेंडे और सड़कों पर हिंसक विरोध प्रदर्शनों के लिए कुख्यात है। संगठन पहले भी फ्रांस के खिलाफ विरोध, ब्लासफेमी कानूनों और सरकारी नीतियों को लेकर देश में कई बार हिंसा भड़का चुका है।
इस्लामाबाद में हालात अभी भी तनावपूर्ण हैं। गाजा युद्ध के समर्थन में शुरू हुआ आंदोलन अब पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता और चरमपंथ के पुराने जख्मों को फिर से उजागर कर रहा है। सरकार ने सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाए हैं, लेकिन तहरीक-ए-लब्बैक की “फ़ाइनल कॉल” अगर राजधानी तक पहुंचती है, तो आने वाले दिनों में राजनीतिक और सुरक्षा संकट और गहरा सकता है।
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