अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को व्यापारी और अपने नज़दीकी सहयोगी सर्जियो गोर को भारत में अगले अमेरिकी राजदूत के रूप में नामित किया। 38 वर्षीय गोर वर्तमान में व्हाइट हाउस के प्रभावशाली प्रेसिडेंशियल पर्सनल ऑफिस का नेतृत्व कर रहे हैं और लंबे समय से ट्रंप के राजनीतिक दायरे का हिस्सा रहे हैं।
ट्रंप ने सोशल मीडिया मंच ट्रुथ सोशल पर गोर की सराहना करते हुए लिखा, “मैं यह घोषणा करते हुए प्रसन्न हूं कि मैं सर्जियो गोर को भारत गणराज्य में अमेरिका का अगला राजदूत और दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों का विशेष दूत नियुक्त कर रहा हूं। सर्जियो का योगदान मेरी राजनीतिक अभियानों में बेहद अहम रहा है और मैं उन पर पूरी तरह भरोसा करता हूं।”
गोर की नियुक्ति का स्वागत विदेश मंत्री मार्को रुबियो, उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस, एफबीआई निदेशक कश पटेल और रक्षा नीति के अवर सचिव एल्ब्रिज कोल्बी ने किया। अब उनकी औपचारिक पुष्टि अमेरिकी सीनेट द्वारा की जानी बाकी है। हालांकि, यह तथ्य चर्चा का विषय बना हुआ है कि गोर का विदेशी नीति से जुड़ा अनुभव बेहद सीमित है, जबकि भारत-अमेरिका संबंध इस समय तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं।
गोर का जन्म 1986 में उज्बेकिस्तान में हुआ था। उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी के कई नेताओं के साथ काम करते हुए राजनीतिक करियर की शुरुआत की। ट्रंप के 2020 के असफल पुनर्निर्वाचन अभियान में गोर प्रमुख चेहरा बने और उसके बाद राष्ट्रपति के करीबी सलाहकारों की सूची में शामिल हो गए। वर्ष 2021 में उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप जूनियर के साथ मिलकर विनिंग टीम पब्लिशिंग की स्थापना की, जो ट्रंप और अन्य अमेरिकी कंज़र्वेटिव नेताओं की किताबें प्रकाशित करती है।
ट्रंप की 2024 की जीत के बाद गोर को व्हाइट हाउस प्रेसिडेंशियल पर्सनल ऑफिस का प्रमुख नियुक्त किया गया। यह वही दफ़्तर है जो संघीय सरकार में प्रमुख पदों पर नियुक्तियों की स्क्रीनिंग और चयन करता है। विश्लेषकों का कहना है कि गोर की इस अहम जिम्मेदारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि राष्ट्रपति के साथ उनका भरोसेमंद रिश्ता कितना गहरा है।
हालांकि, गोर विवादों से अछूते नहीं रहे। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने कई अहम पदों पर नियुक्तियों को रोकने में भूमिका निभाई, विशेषकर नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में। उन्हें अमेरिकी विदेश नीति के रेस्ट्राइनर खेमे का प्रतिनिधि माना जाता है, जो विदेशों में अमेरिका की सीमित भूमिका और सैन्य हस्तक्षेप से बचने की वकालत करता है।कुछ रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया कि एलन मस्क और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच दरार पैदा करने में गोर की भूमिका रही। कहा जाता है कि नासा निदेशक पद के लिए मस्क के सहयोगी जारेड इसैकमैन को किनारे लगाने में गोर ने अहम भूमिका निभाई।
गोर की नामांकन के साथ उन्हें दक्षिण और मध्य एशिया मामलों का विशेष दूत भी बनाया गया है। इस पद की वास्तविक परिभाषा को लेकर अस्पष्टता बनी हुई है। कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के उपाध्यक्ष इवान फाइगेनबाम का कहना है, “यह स्पष्ट नहीं है कि इसका वास्तविक अर्थ क्या होगा, क्योंकि अमेरिका के पास इस क्षेत्र के लिए कोई ठोस रणनीति दिखाई नहीं देती। पर इतना ज़रूर है कि इससे विदेश मंत्रालय के पारंपरिक ढांचे का महत्व कम हो जाएगा।”
भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में इस समय कई पेचीदगियाँ मौजूद हैं। ट्रंप प्रशासन ने हाल में भारत पर 50% टैरिफ लगाने और रूस से तेल खरीदने पर सवाल उठाने जैसे कदम उठाए हैं, जिनसे नई दिल्ली की असहजता बढ़ी है। विशेषज्ञों का मानना है कि गोर की नियुक्ति एक सकारात्मक संदेश तो देती है, लेकिन यह अकेले हालात को पूरी तरह सुधारने के लिए पर्याप्त नहीं होगी।
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