ट्रंप ने अमेरिकी चुनाव सुधार का दिया आदेश, भारत को बताया उदाहरण!

भारत और ब्राजील जैसे देश मतदाता पहचान को बायोमेट्रिक डेटाबेस से जोड़ रहे हैं, जबकि अमेरिका में अब भी नागरिकता के लिए स्व-सत्यापन पर निर्भरता बनी हुई है। यह अस्वीकार्य है।"

ट्रंप ने अमेरिकी चुनाव सुधार का दिया आदेश, भारत को बताया उदाहरण!

Trump ordered US election reforms, cited India as an example!

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार(25 मार्च) को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसमें अमेरिकी चुनाव प्रणाली में महत्वपूर्ण सुधारों का प्रस्ताव रखा गया है। इस आदेश में चुनावी प्रक्रियाओं को अधिक सुरक्षित और पारदर्शी बनाने पर जोर दिया गया है। आदेश के अनुसार, मतदाताओं को पंजीकरण के समय अमेरिकी नागरिकता का प्रमाण प्रस्तुत करना आवश्यक होगा। इसके अलावा, चुनाव के दिन तक केवल मेल-इन या पोस्टल बैलट मतपत्रों की गिनती की अनुमति दी जाएगी।

ट्रंप ने इस आदेश का बचाव करते हुए भारत और ब्राजील की चुनावी प्रक्रियाओं का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, “भारत और ब्राजील जैसे देश मतदाता पहचान को बायोमेट्रिक डेटाबेस से जोड़ रहे हैं, जबकि अमेरिका में अब भी नागरिकता के लिए स्व-सत्यापन पर निर्भरता बनी हुई है। यह अस्वीकार्य है।”

उन्होंने आगे कहा, “जर्मनी और कनाडा जैसे देशों में कागज के मतपत्रों को अनिवार्य किया गया है, जबकि अमेरिका में अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग प्रणाली अपनाई जाती है। यह चुनावी सुरक्षा के लिए खतरा है।” इस आदेश के तहत गैर-अमेरिकी नागरिकों को कुछ चुनावों में मतदान करने से रोकने का भी प्रस्ताव रखा गया है। इसके अलावा, ट्रंप ने मेल-इन मतदान प्रणाली को लेकर भी सख्त रुख अपनाया।

उन्होंने कहा, “डेनमार्क और स्वीडन में मेल-इन बैलट केवल उन लोगों को दिए जाते हैं जो व्यक्तिगत रूप से मतदान करने में असमर्थ होते हैं। वहां देर से आने वाले मतपत्र स्वीकार नहीं किए जाते, चाहे उन पर डाक टिकट हो या न हो। लेकिन अमेरिका में ऐसा नहीं है, जिससे चुनावी धांधली की संभावना बढ़ जाती है।”

ट्रंप के इस आदेश को विपक्षी दलों और कानूनी विशेषज्ञों ने आलोचना का निशाना बनाया है। कोलोराडो की सचिव जेना ग्रिसवॉल्ड ने इसे “अवैध” करार देते हुए कहा, “यह मतदाताओं के अधिकारों का उल्लंघन करता है और इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जा सकता।”

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी संविधान के अनुसार, चुनावों का संचालन राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है। ऐसे में यह आदेश अदालत में चुनौती का सामना कर सकता है।

यह भी पढ़ें:

संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी, अफगानिस्तान में लड़कियों की शिक्षा पर रोक से प्रभावित होंगी पीढ़ियां!

नई दिल्ली: मुल्लांपुर में खेला जाएगा महिला क्रिकेट विश्‍व कप 2025 का फाइनल!

Madhya Pradesh: बुरहानपुर में मिली रहस्यमयी संरचना, प्रशासन ने जांच के आदेश दिए

ट्रंप ने इस आदेश को चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने कहा, “स्वतंत्र, निष्पक्ष और ईमानदार चुनाव हमारे संवैधानिक गणराज्य को बनाए रखने के लिए जरूरी हैं। 2020 के चुनावों में जो हुआ, उसे फिर से होने नहीं दिया जा सकता।”

हालांकि, डेमोक्रेट्स और कई स्वतंत्र संगठनों का कहना है कि 2020 के चुनावों में किसी बड़े पैमाने पर धांधली के कोई प्रमाण नहीं मिले थे। इसके बावजूद ट्रंप इस मुद्दे को लगातार उठाते रहे हैं और इसे 2024 के राष्ट्रपति चुनाव का प्रमुख एजेंडा बना रहे हैं। इस आदेश के प्रभाव और इसके कानूनी परिणामों पर आने वाले दिनों में और अधिक चर्चा होने की संभावना है।

यह भी देखें:

उठ चुका राज से पर्दा !| Amey karambelkar |Disha Salian |Sushant SinghRajput |Adityathackeray |

Exit mobile version