अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शुक्रवार (15 अगस्त) को अलास्का में मिलने वाले हैं। यह मुलाकात अमेरिकी हवाई अड्डे पर होगी और इसमें प्रमुख रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध पर बातचीत होगी। चार साल बाद दोनों नेताओं की यह पहली सीधी भेंट है, जिससे वैश्विक स्तर पर काफी उम्मीदें जुड़ी हैं। फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला करने के बाद यह पुतिन की किसी पश्चिमी देश की पहली यात्रा है, जबकि अमेरिका में उनकी यह दस वर्षों में पहली मौजूदगी होगी।
इस बैठक को रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है, हालांकि दोनों देशों के दृष्टिकोण में काफी अंतर है। रूस की ओर से प्रस्तुत जून 2024 की शांति योजना में खेरसॉन, लुगांस्क, ज़ापोरिज़िया और डोनेट्स्क से यूक्रेनी सेना की वापसी, नाटो महत्वाकांक्षा छोड़ने, पश्चिमी देशों से हथियारों की आपूर्ति बंद करने, रूसी भाषी नागरिकों के अधिकार सुनिश्चित करने और पश्चिमी प्रतिबंध हटाने जैसी मांगें शामिल हैं। यूक्रेन ने इन शर्तों को खारिज करते हुए इसे आत्मसमर्पण की मांग बताया है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की इस शिखर सम्मेलन में भाग नहीं ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी मौजूदगी के बिना कोई शांति समझौता नहीं हो सकता। यूक्रेन युद्धविराम, सभी युद्धबंदियों की रिहाई और रूस द्वारा ले जाए गए बच्चों की वापसी की मांग कर रहा है। उनका आरोप है कि रूस ने हजारों बच्चों को अवैध रूप से अपने कब्जे वाले क्षेत्रों में भेज दिया और उन्हें रूसी नागरिकता दी है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पहले कह चुके हैं कि वह जनवरी में पद संभालने के 24 घंटे के भीतर युद्ध खत्म कर देंगे, लेकिन अब तक कोई ठोस सफलता नहीं मिली है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर रूस ने आक्रमण नहीं रोका, तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। हालांकि व्हाइट हाउस ने इस बैठक को “सुनने का अभ्यास” बताते हुए उम्मीदें कम कर दी हैं।
यूरोपीय देशों की भी इस बैठक पर नज़र है। ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी, पोलैंड, फिनलैंड और यूरोपीय संघ ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन की भागीदारी के बिना कोई स्थायी शांति संभव नहीं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने युद्ध के बाद यूक्रेन में शांति सैनिक भेजने की इच्छा जताई है, जिसे रूस ने सख्ती से खारिज किया है।
अगर ट्रंप और पुतिन की यह पहली वार्ता सकारात्मक रही, तो एक और सम्मेलन जल्द बुलाया जा सकता है, जिसमें ज़ेलेंस्की की भी भागीदारी संभव है। इस मुलाकात के नतीजे न केवल रूस और यूक्रेन बल्कि अमेरिका, यूरोप और वैश्विक सुरक्षा ढांचे पर गहरा असर डाल सकते हैं।
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