दुनिया की दो सबसे बड़ी परमाणु शक्तियाँ अमेरिका और रूस एक बार फिर अपने परमाणु हथियारों को लेकर भिड़ गई हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच चल रही यह जुबानी जंग अब वैश्विक चिंता का कारण बन चुकी है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह माहौल शीत युद्ध (Cold War) के दिनों की याद दिला रहा है, जब दोनों देश एक-दूसरे को परमाणु ताकत के दम पर डराने की कोशिश करते थे।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब राष्ट्रपति पुतिन ने घोषणा की कि रूस ने एक नई परमाणु-संचालित क्रूज़ मिसाइल ‘बुरेवेस्निक (Burevestnik)’ का सफल परीक्षण किया है। उन्होंने दावा किया कि यह मिसाइल लगभग असीमित दूरी तक उड़ान भर सकती है, और इसकी उड़ान दिशा इतनी अप्रत्याशित है कि इसे ट्रैक करना लगभग असंभव है। रूस का कहना है कि यह हथियार “रणनीतिक बढ़त” देगा और किसी भी रक्षात्मक प्रणाली को बेअसर कर सकता है।
पुतिन के बयान के कुछ ही समय बाद डोनाल्ड ट्रंप ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने रूस के परीक्षण को ‘अनुचित (inappropriate)’ करार देते हुए कहा कि अमेरिका को अपनी शक्ति दिखाने के लिए किसी नए हथियार की घोषणा की ज़रूरत नहीं है। ट्रंप ने कहा, “उन्हें पता है कि हमारे पास एक परमाणु पनडुब्बी है, दुनिया की सबसे ताकतवर पनडुब्बी, जो उनके तट के बिलकुल पास है। हमें 8,000 मील दूर से हमला करने की ज़रूरत नहीं। वे हमारे साथ खेल नहीं रहे, और हम भी उनके साथ खेल नहीं रहे। हम हर समय मिसाइल परीक्षण करते रहते हैं।”
ट्रंप का संदेश था, रूस चाहे जितनी लंबी दूरी की मिसाइल बना ले, अमेरिकी परमाणु ताकत पहले से ही उनके दरवाज़े पर मौजूद है। ट्रंप ने इस मौके पर यूक्रेन युद्ध को लेकर भी पुतिन पर सीधा वार किया। उन्होंने कहा, “उसे (पुतिन को) युद्ध खत्म कर देना चाहिए। एक ऐसा युद्ध जो एक हफ़्ते में खत्म हो जाना चाहिए था, अब अपने चौथे साल में है।” ट्रंप ने इसे रूस की रणनीतिक विफलता बताया और कहा कि रूस अब आर्थिक और राजनीतिक रूप से थक चुका है।
दूसरी ओर, पुतिन ने अमेरिका के साथ चल रहे प्लूटोनियम निस्तारण समझौते (Plutonium Disposal Agreement) को औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया है। यह समझौता दोनों देशों के बीच परमाणु हथियारों के निर्माण में उपयोग होने वाले पदार्थों को सीमित करने के लिए किया गया था। रूस टुडे (RT) के अनुसार, रूसी संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर पुतिन ने हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिससे यह समझौता अब पूरी तरह समाप्त हो गया है।
विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप और पुतिन के बीच यह बयानबाज़ी केवल व्यक्तिगत अहंकार की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह संकेत है कि दुनिया फिर से परमाणु प्रतिस्पर्धा के नए युग में प्रवेश कर रही है। जहाँ रूस नई तकनीक से अपनी शक्ति दिखा रहा है, वहीं अमेरिका अपनी सक्रिय युद्ध-तैयारी और रणनीतिक उपस्थिति के दम पर जवाब दे रहा है।
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