भारत के दो सफल बिजनेसमैन, एक टाटा तो दूसरे अंबानी।

देश के दो सबसे बड़े और सफल कारोबारियों का जन्म एक ही दिन हुआ।

भारत के दो सफल बिजनेसमैन, एक टाटा तो दूसरे अंबानी।

भारतीय उद्योग जगत के सबसे मजबूत स्तंभों में धीरूभाई अंबानी और रतन टाटा का नाम हमेशा से ही सबसे ऊपर रहा हैं। शून्य से शिखर तक सफर दोनों ने अपनी मेहनत से तय किया। ये महज इत्तेफाक ही है कि दोनों का जन्मदिन 28 दिसंबर को हुआ। एक कहावत है कि दिल में जज्बा हो तो इंसान के लिए कोई भी काम मुश्किल नहीं है, धीरूभाई अंबानी और रतन टाटा पर बिल्कुल सटीक बैठती है। दोनों ने ही मेहनत और लगन से फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है। देश के उद्योग जगत को नई दिशा देने वाले इन दोनों बिजनेस लीडर्स की कहानी हर एक भारतीयों को कुछ नया और बड़ा करने की प्रेरणा देता है। सॉल्ट से लेकर सॉफ्टवेयर तक टाटा की धमक है तो वहीं दूरसंचार से लेकर पेट्रोलियम तक रिलायंस ने अपनी जड़ें जमा ली है।  

धीरजलाल हीराचंद अंबानी, जिन्हें धीरूभाई अंबानी के नाम से जाना जाता है, भारतीय बिजनेस टाइकून थे, जिन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की। इनका जन्म 28 दिसंबर, 1932 को गुजरात में हुआ था। धीरूभाई अंबानी एक जमाने में 300 रुपये की नौकरी करते थे, लेकिन जब उनका देहांत हुआ तो उनके पास 62 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा की संपत्ति थी। 1950 के दशक के शुरुआत में उन्होंने अपने चचेरे भाई चम्पकलाल दमानी के साथ मिलकर रिलायंस कमर्शियल कारपोरेशन कंपनी के तहत पॉलिएस्टर धागे और मसालों के आयात-निर्यात का व्यापार प्रारंभ किया। यहीं से जन्म हुआ रिलायंस कंपनी का। 1965 में चम्पकलाल ने साझेदारी खत्म कर दी, लेकिन धीरुभाई अंबानी ने पीछे मूड़कर नहीं देखा। अंबानी ने 1977 में रिलायंस को सार्वजनिक किया। उन्होंने कपड़ा उद्योग के बाद दूरसंचार, ऊर्जा और कई सेक्टर में हाथ आजमाए और रिलायंस का दायरा बढ़ता चला गया। 2016 में उन्हें मरणोपरांत बिजनेस और इंडस्ट्री में उनके योगदान के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।  

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर, 1937 में हुआ था। इनका जन्म भारत के सूरत शहर में हुआ था। रतन टाटा ने टाटा ग्रुप्स की बागडोर काफी लंबे समय तक संभाली। 1991 से 2012 तक ये टाटा ग्रुप के अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने 28 दिसंबर, 2012 में अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया और फिर टाटा के चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष बन गए। इनके रहते हुए टाटा ग्रुप ने बहुत सारी बुलंदियों को हासिल किया। रतन टाटा के वजह से टाटा ग्रुप के राजस्व में 40 गुना से भी ज्यादा और प्रॉफिट में 50 गुना के आसपास की बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा ये हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। अक्सर ही ये गरीबों की मदद करते हुए नज़र आते हैं। इनका व्यक्तित्व बहुत ही साधारण है। इसीलिए ये लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है। रतन टाटा को वर्ष साल 2000 में पद्म भूषण अवॉर्ड से और साल 2008 में देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। 

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