लंदन में हाल ही में हुए एक विशाल प्रदर्शन के बाद ब्रिटेन के एंटी-इमिग्रेशन नेता टॉमी रॉबिन्सन फिर सुर्खियों में हैं। सख़्त एंटी-इमिग्रेंट रुख रखने वाले रॉबिन्सन ने भारतीयों को लेकर खासकर हिंदुओं को लेकर आश्चर्यजनक रूप से सकारात्मक राय दी है। उन्होंने बार-बार कहा है कि हिंदू “ब्रिटिश जीवन में घुल-मिल जाने वाला शांतिप्रिय समुदाय” हैं और उन्हें अन्य प्रवासी समूहों से अलग माना जाना चाहिए।
रॉबिन्सन ने लंदन की सड़कों पर लाख से अधिक लोगों की भीड़ का नेतृत्व किया, जिसमें ब्रिटेन की संस्कृति, भाषा और रिलीजन के संरक्षण की मांग के लिए निकाला गया था। लेकिन अपनी इस रैली में उन्होंने हिंदुओं को सहयोगी कहा। उन्होंने यहां तक कहा कि जरूरत पड़ने पर वह हिंदुओं के लिए सड़कों पर “सैकड़ों लोगों” को उतार देंगे। उनका यह बयान 2022 में लीसेस्टर में हुए हिंदू-मुस्लिम झगड़े के बाद आया था, उस वक्त उन्होंने हिंदुओं का खुला समर्थन किया था।
टॉमी रॉबिन्सन हमेशा से इस्लाम और मुस्लिम प्रवासियों के खिलाफ रहें है। उन्होंने पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, अफ्रीकन देशों से आने वाले उग्रवादी मुसलमानों को हमलावर और अपराधी बताया है, जबकि वह भारतीय हिंदुओं को अलग श्रेणी में रखते है। उनका कहना है कि हिंदू ब्रिटेन की संस्कृति और कानून के साथ तालमेल बिठाते हैं और हिंसा या अपराध से उनका कोई वास्ता नहीं है।
रॉबिन्सन ने ओप-इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में दावा किया कि लीसेस्टर की घटनाओं के दौरान ब्रिटेन का राजनीतिक और मीडिया वर्ग हिंदुओं के खिलाफ खड़ा हो गया था, क्योंकि वे मुसलमानों को नाराज़ करने से डरते थे। उन्होंने कहा कि हिंदुओं को अब चुपचाप सहने के बजाय संगठित होकर जवाब देना सीखना होगा। इसके लिए उन्होंने ब्रिटेन के सिख समुदाय का उदाहरण दिया, जो हमलों की स्थिति में सामूहिक रूप से खड़ा हो जाता है।
रॉबिन्सन सिर्फ यूके में ही नहीं, बल्कि भारत की राजनीति पर भी नजर रखते हैं। 2024 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लगातार तीसरी जीत पर उन्होंने सोशल मीडिया पर बधाई दी और इसे पॉपुलिस्ट क्रांति बताया था। उन्होंने कहा कि भारत ने इस्लाम और साम्यवाद से बचकर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में जीत हासिल की है।
हालांकि, रॉबिन्सन ने स्वीकार किया कि उनके समर्थन के कारण हिंदुओं पर व्हाइट सुप्रेमेसिस्ट से जुड़ने का ठप्पा लगने का खतरा रहता है। बावजूद इसके, उन्होंने हिंदुओं से अपील की कि वे अपनी सुरक्षा और समुदायिक एकजुटता पर ध्यान दें, न कि आलोचकों के लेबल पर।
विशेषज्ञों का मानना है कि रॉबिन्सन की यह रणनीति सोची-समझी है। वे हिंदुओं को अपने साथ जोड़कर यह संदेश देना चाहते हैं कि वह हर प्रवासी के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि सिर्फ उग्रवादी मुसलमानों के खिलाफ खड़े हैं।
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