राजधानी लखनऊ में दुष्कर्म के बाद महिला की हत्या के मामले में पुलिस ने शुक्रवार की रात मुख्य आरोपी को मुठभेड़ में ढेर कर दिया। मामले में पुलिस को बैक ट्रैप ट्रिक और घटनास्थल के पास एक्टिव मोबाइल नंबर की छानबीन से हैवानों तक पहुंचने में मदद मिली। घटना के खुलासे के लिए 60 पुलिस वालों की छह अलग-अलग टीमें लगी थीं। तीन दिन पहले मलिहाबाद के वाजिदनगर इलाके में वारदात को अंजाम दिया गया था।
जांच में पुलिस को कसमंडी के पास एक अस्पताल से सबसे पहले एक फुटेज मिला था। इस फुटेज में संदिग्ध ई ऑटो आते व जाते दिखा। इसके बाद पुलिस ने बैक ट्रैप ट्रिक का प्रयोग किया। इस ट्रिक में संदिग्ध व्यक्ति या वाहन का फुटेज मिलने पर उसके आगे की फुटेज चेक करने के बजाय पीछे के रूट पर लगे कैमरे चेक किए जाते हैं।
इसकी वजह ये है कि वारदात के पूर्व अपराधी लापरवाह रहता है, जबकि वारदात के बाद चालाकी दिखाता है। पुलिस की ट्रिक सफल रही और दुबग्गा की अंधे की चौकी के पास ई-ऑटो साफ नजर आ गया। आरोपी दिनेश उसमें बैठता दिखा। डीसीपी पश्चिम ने बताया कि अंधे की चौकी के पास पुलिस को ई-ऑटो का सबसे साफ फुटेज हाथ लग गया। फुटेज में दोनों आरोपियों की धुंधली तस्वीर नजर आई।
फुटेज हाथ लगने के बाद पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी आरोपियों की पहचान की। पुलिस ने इसके लिए सर्विलांस तकनी की मदद ली। अंधे की चौकी और घटनास्थल के पास लगे मोबाइल टावर से पुलिस ने घटना के वक्त एक्टिव मोबाइल नंबरों की सूची निकाली।
करीब पांच हजार मोबाइल नंबरों की सूची से पुलिस ने आरोपियों का मोबाइल नंबर तलाश निकाला जो दोनों ही जगह एक्टिव थे। इसके बाद आरोपी दिनेश व अजय की पहचान हुई। दिनेश का मोबाइल चालू था जिससे बृहस्पतिवार को पुलिस ने उसकी लोकेशन पता कर दबोच लिया।