अमेरिका ने भारत, चीन, कनाडा और मेक्सिको के खिलाफ कड़े व्यापारिक कदम उठाते हुए प्रत्युत्तरात्मक (रेसिप्रोकल) शुल्क लगाने की घोषणा की है, जो 2 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यह फैसला इन देशों द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर लगाए जा रहे “अनुचित” शुल्क और राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर लिया है।
अमेरिका का आरोप और नया शुल्क
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने फैसले को लेकर कहा“हम अब अन्य देशों को अमेरिका का फायदा उठाने नहीं देंगे। वे हमारे उत्पादों पर ऊंचे कर लगाते हैं, लेकिन हम उनके उत्पादों को बिना किसी शुल्क के आने देते हैं। यह अब नहीं चलेगा। अमेरिका अब खुद को बचाने के लिए कदम उठा रहा है।”
1 फरवरी 2025 को ट्रम्प प्रशासन ने कनाडा, मेक्सिको और चीन से आने वाले आयातों पर नए शुल्क लगाने की घोषणा की थी, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यापार असंतुलन को मुख्य कारण बताया गया।
- भारत: अमेरिकी ऑटोमोबाइल पर 100% से अधिक कर लगाता है, जबकि अमेरिका भारतीय उत्पादों पर इतना ऊंचा शुल्क नहीं लगाता। इसे असमान व्यापार नीति बताते हुए अमेरिका ने अब भारत पर समान शुल्क लगाने का फैसला किया है।
- चीन: ट्रम्प प्रशासन ने चीन पर अमेरिकी वस्तुओं पर दोगुना कर लगाने का आरोप लगाया और कहा कि अब अमेरिका भी इसी तरह शुल्क बढ़ाएगा।
- कनाडा और मेक्सिको: अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए कनाडा और मेक्सिको से आने वाले आयातों पर 25% शुल्क लगाया है। ट्रम्प ने कहा कि ये शुल्क अवैध आप्रवासन और मादक पदार्थों की तस्करी, विशेष रूप से फेंटानाइल, को रोकने के लिए लगाए गए हैं। कनाडा से आयात होने वाली ऊर्जा, जिसमें तेल, प्राकृतिक गैस और बिजली शामिल हैं, पर 10% शुल्क लगाया गया है।
वैश्विक असर और संभावित प्रतिक्रिया
अमेरिका के इस कदम के बाद कनाडा, चीन और मेक्सिको ने जवाबी कार्रवाई की घोषणा की है। कनाडा ने कहा है की अमेरिकी वस्तुओं पर $155 बिलियन के शुल्क लगाने की योजना बन रही है, जिसमें पहले चरण में $20.6 बिलियन मूल्य के उत्पादों पर टैक्स लगाया जाएगा। दौरान चीन ने अमेरिकी कृषि और खाद्य उत्पादों सहित कई वस्तुओं पर 10-15% आयात कर बढ़ाने की घोषणा की है, जो 10 मार्च से लागू होगा। साथ ही मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम पार्डो ने कहा कि अगर अमेरिकी शुल्क प्रभावी होते हैं, तो मेक्सिको सभी संभावनाओं के लिए तैयार है।
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व्यापक आलोचना और वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका
ट्रम्प की इस नीति की विश्व स्तर पर तीखी आलोचना हो रही है। कई विशेषज्ञों ने वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका जताई है, जिससे अंततः उपभोक्ताओं को नुकसान होगा। मशहूर निवेशक वॉरेन बफेट ने ट्रम्प के इस कदम को ‘युद्ध जैसी कार्रवाई’ करार दिया है।
ट्रम्प ने सदन में अपनी टैरिफ नीति का बचाव करते हुए कहा “अगर कोई देश हमें नुकसान पहुंचाता है, तो हमें जवाब देना होगा। अमेरिका अब कमजोर नहीं रहा। हम दुनिया में व्यापार में निष्पक्षता चाहते हैं।”
इस फैसले के बाद वैश्विक शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की गई, खासकर टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल और फार्मा सेक्टर पर असर दिखा। अब देखना होगा कि अमेरिका के इन शुल्कों से अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर क्या असर पड़ता है और अन्य देश किस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं।