अवैध प्रवास पर बड़ी गिरावट; जनवरी 2025 से अब तक अमेरिका से 2,790 भारतीय डिपोर्ट

सीमा पार करने के प्रयासों में 62% की कमी — विदेश मंत्रालय

अवैध प्रवास पर बड़ी गिरावट; जनवरी 2025 से अब तक अमेरिका से 2,790 भारतीय डिपोर्ट

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भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने गुरुवार को जानकारी दी कि जनवरी 2025 से अब तक 2,790 भारतीय नागरिकों को अमेरिका से उनके मूल देश वापस भेजा गया है, जो बिना वैध दस्तावेजों के वहां रह रहे थे। मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि इन लोगों को इसलिए वापस भेजा गया क्योंकि वे नियमों पर खरे नहीं उतरे और अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे थे।

जायसवाल ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया, “जनवरी से अब तक 2,790 भारतीयों को अमेरिका से डिपोर्ट किया गया है। भारत सरकार ने उनकी पहचान और राष्ट्रीयता की पूरी तरह पुष्टि करने के बाद ही उन्हें स्वीकार किया है। यह आंकड़ा 29 अक्टूबर तक का है।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत केवल उन्हीं लोगों को स्वीकार करता है जिनकी राष्ट्रीयता और पहचान उचित प्रक्रिया के तहत सत्यापित की गई हो। यह पूरी प्रक्रिया भारत और अमेरिका के बीच कानूनी व कूटनीतिक माध्यमों से पूरी की जाती है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी बताया कि यह केवल अमेरिका तक सीमित नहीं है। इस साल यूनाइटेड किंगडम से भी लगभग 100 भारतीयों को वापस भेजा गया।

अवैध रूप से अमेरिका में घुसने की कोशिश करने वाले भारतीयों की संख्या में इस साल उल्लेखनीय गिरावट आई है। अमेरिकी कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (CBP) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2024 से सितंबर 2025 के बीच 34,146 भारतीयों को बिना अनुमति सीमा पार करने की कोशिश में हिरासत में लिया गया।

हालांकि यह संख्या बड़ी लग सकती है, लेकिन वास्तव में यह पिछले साल की तुलना में 62% की भारी गिरावट दर्शाती है। वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 90,415 था। अमेरिकी अधिकारियों ने इसे “तेज़ और निरंतर कमी” (steep and sustained decline) बताया है, जो दर्शाता है कि प्रवासन नियंत्रण के प्रयास अब प्रभावी हो रहे हैं।

यह गिरावट ऐसे समय में आई है जब दोनों देशों ने कानूनी प्रवासन को बढ़ावा देने और मानव तस्करी नेटवर्क पर सख्त कार्रवाई करने के लिए मिलकर काम करने पर ज़ोर दिया है।

भारत सरकार ने भी दोहराया है कि वह कानूनी प्रवासन के पक्ष में है, लेकिन अवैध तरीकों से विदेश जाने वालों को कोई संरक्षण नहीं दिया जाएगा। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, यह कदम न केवल अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन सुनिश्चित करता है, बल्कि प्रवासियों की सुरक्षा और भारत की साख बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है।

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