उत्तर प्रदेश के बरेली में नाथ नगरी कॉरिडोर में खंभों को लेकर भी बवाल मचाया जा रहा है। यहां नए डिजाइन के तहत खंभे लगाए गए थे लेकिन इन खंभों के डिजाईन मौलाना के आंखों में इस कदर चुभने लगे है की, मौलाना ने चेतावनी दी है। मुख्यमंत्री योगी के इस ‘नाथ नगरी कॉरिडोर’ इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के तहत शहर के सात प्रमुख शिव मंदिरों को जोड़कर क्षेत्र के सौंदर्यकरण के लिए 232.21 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई है। इस योजना के तहत में बिजली खंभों पर ‘त्रिशूल’ और ‘ॐ’ जैसे धार्मिक चिन्ह लगाए गए हैं, जिसे लेकर मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्ग ने आपत्ति जताई है।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रिज़वी ने इन धार्मिक प्रतीकों को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। रिज़वी ने कहा कि सरकारी संपत्तियों पर त्रिशूल लगाना एक धर्म विशेष को बढ़ावा देना है, जो देश की धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। मौलाना शाहबुद्दीन का कहना है कि अगर नाथ नगरी कॉरिडोर बनाया जा रहा है तो आला हजरत कॉरिडोर भी बनाया जाना चाहिए।
मौलाना मुफ़्ती सहाबुद्दीन रिज़वी ने शहर की अन्य ऐतिहासिक हस्तियों के नाम पर सड़कों और पार्कों का नामकरण करने की भी मांग की है। मौलाना ने आरोप लगाया कि सरकार का यह कदम सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दे सकता है। इसी के साथ मौलाना ने चेतावनी दी है की त्रिशूल नहीं हटाने पर इस्लामिक झंडे लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह देश किसी एक धर्म का नहीं है. अगर त्रिशूल लगाए जाएंगे तो हम भी अपने धार्मिक प्रतीकों को जगह देंगे।
दरम्यान आचार्य संजीव कृष्ण गौड़ ने इस कदम का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि, बरेली को नाथ नगरी कहा जाता है और त्रिशूल इस शहर की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है, इसीलिए नाथ नगरी कॉरिडोर के तहत त्रिशूल और ॐ लगाना इसमें गलत नहीं है।
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बता दें की, नाथ नगरी कॉरिडोर परियोजना बरेली के सात प्रमुख शिवालयों को 32 किमी लंबे मार्ग से जोड़कर शहर को धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित करने का प्रयास है। इसमें साइनेज, मैप लोकेटर, थीम आधारित वॉल पेंटिंग, और लैंडस्केपिंग जैसे कार्य शामिल हैं। सरकार का दावा है कि यह प्रोजेक्ट बरेली को नई पहचान देने के साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।