आखिरी नहीं,माणा देश का पहला गांव, जानें महाभारत काल से क्या है संबंध?          

बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने इस गांव का बोर्ड बदल दिया है। जहां लिखा गया है "भारत का प्रथम गांव माणा।" 

आखिरी नहीं,माणा देश का पहला गांव, जानें महाभारत काल से क्या है संबंध?          

उत्तराखंड का माणा गांव अब आखिरी नहीं बल्कि देश का प्रथम गांव के रूप में जाना जाएगा। माणा गांव को देश का आखिरी गांव के रूप में जाना जाता था, लेकिन बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने इस गांव का बोर्ड बदल दिया है। जहां लिखा गया है “भारत का प्रथम गांव माणा।” वैसे इस माणा का महाभारत काल से संबंध है। यहां कई स्थान पूजनीय और सांस्कृतिक धरोहर भी हैं।


माणा आखिरी नहीं पहला गांव:
गौरतलब है कि बीते साल जब पीएम मोदी अक्टूबर माह में यहां आये थे तो उन्होंने इस गांव को देश का आखिरी गांव कहने के बजाय देश का पहला गांव कहकर सम्बोधित किया था। तब उन्होंने कहा था कि देश की सीमाओं पर बसा हर गांव उनके लिए पहला गांव है। पहले जिन गांवों को देश का आखिरी गांव या इलाका मानकर नजरअंदाज कर दिया जाता था अब  हम वहां से विकास का शुभारंभ करेंगे। वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने भी ट्विट कर लिखा है कि अब माणा गांव देश का आखिरी नहीं बल्कि पहले गांव के रुप में जाना जाएगा।



गांव की आबादी 1214:
इसी के साथ माणा गांव से महाभारत काल के संबंधों की भी खूब चर्चा हो रही है। तो आइये जानते हैं। माणा गांव का महाभारत काल से क्या संबंध है। गौरतलब है कि चीन की सीमा से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित माणा गांव उत्तराखंड के चमोली जिले में पड़ता है। माणा गांव बद्रीनाथ से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गांव हिमालय की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां से माता सरस्वती नदी निकलती हैं। यहां का वातावरण साफ़ सुधारा है। 2019 स्वच्छ भारत के सर्वे में माणा गांव को देश का सबसे साफ़ सुथरा गांव घोषित किया गया था। सर्दियों के मौसम में लोग पहाड़ियों से निचले स्थान की ओर चले जाते हैं, इस गांव की आबादी 1214 है। यहां सबसे अधिक भोतिया समुदाय के लोग रहते हैं।

यहीं से पांडवों ने स्वर्ग गए: कहा जाता है कि जब पांडव स्वर्ग के लिए निकले थे, माणा गांव से ही निकले थे। पांडव जब स्वर्ग जा रहे थे तो उनके साथ द्रौपदी और एक कुत्ता था जो सशरीर स्वर्ग जाना चाहते हैं। हालांकि, एक एक कर सभी गिरते गए सबसे पहले द्रौपदी गिरी उसके बाद नकुल, सहदेव,अर्जुन और भीम थे। केवल युधिष्ठिर और उनके साथ कुत्ता ही बचे थे।



द्रौपदी के लिए भीम पुल:
इतना ही नहीं इस गांव में भीम पुल भी है। कहा जाता हैं कि जब द्रौपदी और पांडव माणा गांव से होते हुए स्वर्ग जा रहे थे तो उस समय सरस्वती नदी को पार करने में द्रौपदी को परेशानी हो रही थी। जिसको देखते हुए भीम ने एक बड़ा पत्थर लाकर पुल बना दिया था। जिसके बाद द्रौपदी ने सरस्वती नदी को पार किया था। इसलिए इसे भीम पुल के नाम से जाना जाता है।



तप्त कुंड:
इतना ही नहीं, मान्यता यह भी है कि जिस स्थान पर भीम पुल बना है वहां वेदव्यास ने भगवान गणेश को बैठकर महाभारत लिखवाये थे। इस गांव में तप्त कुंड भी है। जिसे अग्निदेव का निवास स्थान माना जाता है। कहा जाता है कि इस कुण्ड में स्नान करने से चर्म रोग खत्म हो जाते हैं। यहां वसुधारा झरना भी है। जो बद्रीनाथ धाम से नौ किमी की दूरी पर है। कहा जाता है कि यहां पर पांडव स्वर्ग जाते हुए हुए रुके थे। इसके अलावा यहां भीम पुल, व्यास गुफा ,गणेश गुफा, सरस्वती उद्गम पर्यटक स्थल विख्यात हैं।

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