एलओसी पर तनाव बढ़ने से हीरानगर के ग्रामीणों में दहशत, फसलें बर्बाद होने का डर

भारतीय सुरक्षा बल पूरी तरह से चौकस हैं और सीमावर्ती इलाकों में निगरानी बढ़ा दी गई है। स्थानीय प्रशासन भी लोगों को आश्वस्त कर रहा है कि उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है।

एलओसी पर तनाव बढ़ने से हीरानगर के ग्रामीणों में दहशत, फसलें बर्बाद होने का डर

Villagers of Hiranagar are terrified due to rising tensions on LOC, fear of crop loss

नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास पाकिस्तान की ओर से अचानक गोलाबारी की आशंका ने हीरानगर सेक्टर के सीमावर्ती गांवों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। खेतों में खड़ी फसलें पककर तैयार हैं, लेकिन किसानों को डर है कि अगर पाकिस्तान ने एक बार फिर बिना उकसावे के फायरिंग शुरू की, तो उनकी सालभर की मेहनत राख में बदल सकती है।

ग्रामीण सत पाल शर्मा ने चिंता जाहिर करते हुए कहा, “अगर गोलीबारी शुरू हुई, तो हमारी फसलें बर्बाद हो जाएंगी। हम लोगों ने तारबंदी के बाहर भी खेती की है, लेकिन वहां जाना खतरे से खाली नहीं है। सरकार को हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।”

रत्न लाल ने भी ऐसी ही आशंका जताई। उन्होंने कहा, “तार के पार जो खेत हैं, वहां कटाई के लिए जाना जोखिम भरा है। एक भी गोली अगर आ गई, तो जान और फसल दोनों खतरे में पड़ सकते हैं।”

भारत भूषण ने बताया कि हर बार सीजफायर का उल्लंघन होते ही खेतों में आग लगने का डर बना रहता है। “कई बार ऐसा हुआ है कि हमारी फसलें जलकर नष्ट हो गई हैं। सरकार कहती है कि हर घर में बंकर बनाए गए हैं, लेकिन हकीकत ये है कि आधे गांवों में अभी भी बंकर नहीं हैं।” सुभाष सिंह ने कहा, “हर बार फसल कटाई के वक्त पाकिस्तान जानबूझकर फायरिंग करता है। लोग डर के कारण अपनी ही फसल काटने से कतरा रहे हैं। जिन इलाकों में बंकर नहीं बने हैं, वहां तत्काल निर्माण होना चाहिए।”

स्थानीय लोगों का कहना है कि रात होते ही कई बार गोलियों और धमाकों की आवाजें सुनाई देती हैं, जिससे उनका सामान्य जीवन प्रभावित हो रहा है। कुछ परिवार हालात से परेशान होकर पहले ही सुरक्षित इलाकों की ओर पलायन कर चुके हैं।

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हालांकि, भारतीय सुरक्षा बल पूरी तरह से चौकस हैं और सीमावर्ती इलाकों में निगरानी बढ़ा दी गई है। स्थानीय प्रशासन भी लोगों को आश्वस्त कर रहा है कि उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। फिर भी किसानों की चिंता बनी हुई है, क्योंकि उनके लिए हर दिन कीमती है और फसलों की सुरक्षा अब उनके अस्तित्व का सवाल बन गई है।

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