28 C
Mumbai
Saturday, September 21, 2024
होमदेश दुनियाविश्वनाथ धाम: बनारसीपन को दर्शाएंगे कॉरिडोर के भवन, जानिए क्या है प्लान?

विश्वनाथ धाम: बनारसीपन को दर्शाएंगे कॉरिडोर के भवन, जानिए क्या है प्लान?

Google News Follow

Related

वाराणसी। काशी विश्वनाथ धाम (कॉरिडोर) को कई मायनों में अद्भुत होगा। जल्द ही मंदिर प्रशासन एक प्रतियोगिता कराने वाला है। इस प्रतियोगिता में सबसे अधिक पसंद किये जाने वाले नाम को कॉरिडोर में बने भवनों के नाम से जोड़ा जाएगा। बताया जा रहा है कि प्रत्येक भवन काशी की कला संस्कृति,साहित्य और जीवनशैली से जुड़ा होगा। बता दें कि काशी विश्वनाथ धाम का 64 फीसदी निर्माण कार्य हो चुका है। हाल ही में भारी बारिश की वजह से निर्माण कार्य धीमा चल रहा था। बावजूद इसके मंदिर प्रशासन को उम्मीद है कि तय समय में काम पूरा कर लिया जाएगा।

काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर परिक्षेत्र के भवनों के साथ मंदिर परिसर की चारों दिशा में निर्माणाधीन प्रवेश द्वारों के भी नामकरण होंगे। अभी ये प्रवेश द्वार संख्या के आधार पर पहचाने जाते हैं। विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह तक जाने के लिए पहले भी चार प्रवेश द्वार थे। चौक-विश्वनाथ मार्ग पर पड़ने वाले गेट को वीआईपी, छत्ताद्वार और ज्ञानवापी गेट के नाम से जाना जाता था।
गोदौलिया चौराहे से आने वाले मार्ग के गेट को ढुंढिराज प्रवेश द्वार, दशाश्वेध घाट, लालिता, कालिका गली से मंदिर जाने वाले प्रवेश मार्ग को सरस्वती द्वार और मणिकर्णिका घाट से आने वाले मार्ग के प्रवेश द्वार को नीलकंठ गेट के नाम से जाना जाता था। वर्तमान में नीलकंठ व सरस्वती गेट का अस्तित्व खत्म हो गया है। कॉरिडोर निर्माण के बाद दो मुख्य प्रवेश द्वार रहेंगे। इनमें एक गेट गोदौलिया और दूसरा ललिता घाट के पास प्रस्तावित है। इनके अलावा मंदिर परिसर के चारों ओर चार प्रवेश द्वार होंगे।
अभी किस प्रवेश द्वार से कौन श्रद्धालु आएगा और जाएगा, इस पर निर्णय होना बाकी है। इन चारों प्रवेश द्वारों के नामकरण का फैसला लिया गया है। मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने बताया कि विश्वनाथ कॉरिडोर में अलग-अलग 26 भवनों का निर्माण हो रहा है। इन सभी का नामकरण किया जाएगा। ये नाम काशी और बाबा विश्वनाथ से जुड़े रहेंगे। नामों के चयन के लिए शहर के लोगों के बीच प्रतियोगिता कराई जाएगी।
काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण करीब 64 फीसदी पूरा हो गया है। मंडलायुक्त ने बताया कि निर्माण कार्यों की रफ्तार पिछले दिनों की तुलना में काफी बढ़ी है। कॉरिडोर का काम लक्ष्य के अनुरूप नवम्बर में पूरा करा लिया जाएगा। लालिता घाट पर स्थित रहा गोयनका लाइब्रेरी के नाम से जाने जाना वाला विश्वनाथ पुस्तकालय अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। कॉरिडोर में भवन के अधिग्रहण होने के बाद भवन को तोड़ दिया गया है। केवल अवशेष के रूप में महज ईंट और मलबा दिखायी दे रहा है।
दरअसल, इसकी स्थापना 1910-15 के बीच नीलकंठ से मणिकर्णिकाघाट जाने वाले रास्ते पर एक मकान में हुआ था। इसे विस्तार देने के लिए बड़े उद्यमी गौरी शंकर गोयनका ने 1926 में ललिताघाट पर लगभग चार बीघे में भवन खरीदे। इस पर अंडर ग्राउंड के अलावा दो मंजिला भवन बनाया।

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,379फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
178,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें