जब पोखरण की जमीन पर भारत ने किया परमाणु परीक्षण!

अमेरिका की खुफिया एजेंसी को भारत ने दिया था चकमा।

जब पोखरण की जमीन पर भारत ने किया परमाणु परीक्षण!

Kasmunda trembled! Panic among citizens due to loud explosion?

देश के इतिहास में 11 मई का दिन एक खास वजह से हमेशा जाना जाएगा। पोखरण की भूमि पर 11 मई, 1998 को हुए दूसरे परमाणु परीक्षण के आज 25 साल पूरे हो गए हैं। पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में खेतोलाई गांव के पास भारत ने तीन परमाणु परीक्षण किए थे और पूरी दुनिया को साबित कर दिया था कि भारत अपने दुश्मनों से लड़ने के लिए तैयार है। इस परमाणु परीक्षण को ऑपरेशन शक्ति का नाम दिया गया था।

भारत के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में भारत ने सफलतापूर्वक अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया था। इसी के साथ पूरे पोखरण इलाके में यह पता चल गया कि इस धरती ने भारत को परमाणु ताकतों वाले देशों की सूची में शामिल कर दिया है। परमाणु परीक्षण के बाद देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी खुद धमाके वाली जगह पर गए थे। भारत के इस ऐलान से पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई थी, क्योंकि किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी थी।

भारत की इस सफलता पर अमेरिका के CIA ने भी माना कि भारत उन्हें चकमा देने में सफल रहा क्योंकि अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए (CIA) भारत की हरकतों पर पल-पल नजर बनाए रखता था। सीआईए ने भारत की कड़ी पहरेदारी करने के लिए अरबों खर्च कर 4 सैटेलाइट लगाए थे। इन सब चुनौतियों के बावजूद भी भारत ने पोखरण की जमीन पर सफलतापूर्वक ऑपरेशन शक्ति को अंजाम दिया था।

परमाणु परीक्षण II को बेहद ही गोपनीय तरीके से अंजाम दिया गया था। परीक्षण को गुप्त रखने की पीछे वजह यही थी कि अमेरिका नहीं चाहता था कि भारत परमाणु शक्ति संपन्न देश बने। दरअसल, साल 1995 में भी भारत ने परमाणु परीक्षण करने की योजना बनाई थी लेकिन अमेरिका नहीं चाहता था कि कोई उसकी बराबरी कर सके। साल 1995 में हो रहे परमाणु परीक्षण को अमेरिकी सैटेलाइट और खुफिया एजेंसी ने पूरी तरह से पानी फेर दिया था। भारत ने उस से सबक लिया, इसलिए दूसरे परीक्षण को एकदम गुप्त रखा गया था।

परीक्षण के लिए देश के वैज्ञानिकों ने फौज के कपड़े पहने ताकि उन्हें सेटेलाइट से भी पहचाना नहीं जा सके। सभी वैज्ञानिकों को कोड नेम दिया गया। अब्दुल कलाम को मेजर जनरल पृथ्वीराज का नाम दिया गया था। ये 1998 के परमाणु परीक्षण का ही परिणाम है कि आज भारत ITER में भागीदार है और न्यूक्लियर प्रौद्योगिकी के मामले में हम दुनिया के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं।

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