व्हाइट हाउस में रखा नक्शा बना विवाद का केंद्र!

ट्रंप–ज़ेलेंस्की मुलाक़ात में यूक्रेन पर नया तनाव

व्हाइट हाउस में रखा नक्शा बना विवाद का केंद्र!

white-house-map-trump-zelensky-meeting-ukraine-russia

वॉशिंगटन के ओवल ऑफिस में सोमवार(18 अगस्त) को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की की बैठक का सबसे चर्चित हिस्सा एक बड़ा मानचित्र बन गया। यह नक्शा यूक्रेन पर रूस के कब्जे वाले इलाकों को लाल रंग से दर्शा रहा  था और उसी ने शांति वार्ता की दिशा पर बहस छेड़ दी।

व्हाइट हाउस द्वारा दिखाए गए नक्शे के अनुसार, रूस ने यूक्रेन के लगभग 20% हिस्से पर नियंत्रण कर लिया है। इसमें लुहांस्क का 99%, डोनेत्स्क का 76%, और ज़ापोरिज़्झिया व खेरसॉन का 73% क्षेत्र शामिल दिखाया गया। ट्रंप ने इस आंकड़े को रूस की ताक़त का सबूत बताते हुए कहा, “आप सबने नक्शा देखा होगा। यूक्रेन का बड़ा हिस्सा रूस के कब्जे में है और वह अभी रुका नहीं है।” इस प्रस्तुति से संकेत मिला कि वॉशिंगटन रूस के कब्जे को यथार्थ मान रहा है और शांति समझौते में भू-भाग अदला–बदली (land swaps) जैसे विकल्प पर विचार हो सकता है।

लेकिन ज़ेलेंस्की ने इसे भ्रामक बताते हुए अपना नक्शा प्रस्तुत किया। उनका दावा था कि रूस के पास केवल 1% अतिरिक्त भूमि है जिसे उसने नवंबर 2022 के बाद से कब्जे में लिया। उनके अनुसार, रूस ने अब तक महज़ 5,842 वर्ग किलोमीटर यूक्रेनी जमीन पर कब्जा किया है। ज़ेलेंस्की ने कहा, “लोग 20% या 18% सुनते हैं, लेकिन हकीकत 1% के करीब है। इससे असली संतुलन समझ आता है कि कौन-सी सेना कितनी मज़बूत है।”

संयुक्त राज्य अमेरिका और यूक्रेन के आंकड़ों में फर्क इस बात पर है कि कब्जे को कैसे मापा जाता है। वॉशिंगटन आधारित ISW (इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर) की आकलन रिपोर्ट व्हाइट हाउस से मेल खाती है, जबकि कीव की दलील है कि कई जगह रूस का प्रभाव सिर्फ दावे तक सीमित है। यूक्रेन के विशेषज्ञों का कहना है कि 2022 के बाद रूस की वास्तविक बढ़त कुल क्षेत्रफल का 1% से भी कम है और ज्यादातर मोर्चे लगभग उसी स्थिति में हैं, जैसे युद्ध की शुरुआती अवस्था में थे।

सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ट्रंप से कहा है कि किसी भी शांति समझौते में रूस चाहता है कि पूरा डोनबास क्षेत्र (डोनेत्स्क और लुहांस्क) शामिल हो। लेकिन सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि मौजूदा रफ्तार से रूस को इन इलाकों पर पूरा कब्जा करने में चार साल से ज़्यादा समय लग सकता है।

ओवल ऑफिस बैठक में ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और नाटो नेताओं की मौजूदगी ने यह स्पष्ट किया कि यूरोप इस प्रक्रिया में सीधी भूमिका निभाना चाहता है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि शांति वार्ता में अब और देरी नहीं होनी चाहिए, जबकि जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ ने रूस की मांगों की तुलना अमेरिका से फ्लोरिडा छोड़ देने जैसी असंभव शर्त से की। ज़ेलेंस्की ने स्पष्ट कहा कि यूक्रेन का संविधान किसी भी परिस्थिति में राष्ट्रीय भूमि के आत्मसमर्पण की अनुमति नहीं देता। वहीं ट्रंप ने Fox News पर दोहराया कि अमेरिकी सैनिक सीधे युद्ध में शामिल नहीं होंगे।

पश्चिमी देशों की ओर से नाटो-स्टाइल सुरक्षा गारंटी और युद्ध के बाद स्थिरीकरण बल भेजने जैसे सुझाव दिए गए, लेकिन मास्को ने साफ किया कि वह यूक्रेन में किसी भी नाटो या पश्चिमी सैन्य बल को स्वीकार नहीं करेगा।

ट्रंप ने बैठक के बाद पुतिन से फ़ोन पर बात की और संकेत दिया कि जल्द ही अमेरिका, रूस और यूक्रेन के बीच त्रिपक्षीय वार्ता हो सकती है। हालांकि ज़ेलेंस्की ने फिर दोहराया कि किसी भी कीमत पर भू-भाग सौंपना संभव नहीं है।बैठक के अंत में उन्होंने ट्रंप से कहा, “आपके नक्शे के लिए धन्यवाद, बहुत अच्छा था। मैं सोच रहा हूं इसे कैसे वापस ले जाऊं।”

यह भी पढ़ें:

बीईएसटी चुनावों में शून्य ठाकरे गुट की करारी हार, चुनावों में खुला ही नहीं खाता !

लुधियाना में साइबर फ्रॉड गैंग का पर्दाफाश, 22 गिरफ्तार!

सी.पी. राधाकृष्णन ने भरा नामांकन, पीएम मोदी बने प्रस्तावक!

Exit mobile version