हैदराबाद के संत और समाज सुधारक रामानुजाचार्य की 1000वीं जयंती पर शनिवार को पीएम मोदी 216 फीट ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ़ इक्वैलिटी’ का अनावरण करेंगे। इसी सिलसिले में बुधवार को महायज्ञ शुरू किया गया। इस कार्यक्रम का रामानुज सहसाब्दि समारोहम नाम रखा गया है। रामानुजाचार्य की यह प्रतिमा 45 एकड़ में बनी है।
इस मौके पर दो प्रतिमाओं का अनावरण किया जाएगा। 216 फीट की प्रतिमा सोने, चांदी, लोहे, तांबा, पीतल आदि से बनी हुई है। वहीं दूसरी प्रतिमा की बात करें तो यह 120 किलो सोने की बनी हुई है। यह प्रतिमा मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की जाएगी। यह प्रतिमा रामानुजाचार्य के 120 सालों के याद में बनाई गई। जिसे उनके यात्राओं जुड़ा हुआ बताया जा रहा है।
Sri Lakshmi Narayana Maha Yajna, aimed at world peace and equality, is being conducted at the 45-acre Muchintal Shamshabad, Hyderabad to mark the commencement of 'Sri Ramanuja Sahasrabdi Samaroham’, the 1000th birth anniversary of Sri Ramanujacharya Ji.#StatueOfEquality pic.twitter.com/QUxlkWwpw9
— Statue of Equality (@StatueEquality) February 2, 2022
बता दें कि रामानुजन का जन्म एक ब्राह्मण परिवार 1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में हुआ था। उन्होंने यामुनाचार्य से कांची की शिक्षा ली थी, जबकि श्रीरंगम के यतिराम नामक संन्यासी से संन्यास की शिक्षा ली थी। इसके बाद रामानुजाचार्य में पूरे देश में घूमकर वैष्णव धर्म का प्रचार किया। उन्होंने इस दौरान श्रीभाष्यम् और वेदांत जैसे ग्रंथों की रचना की थी। रामानुजाचार्य का 1137 में अपना देह त्याग दिया। स्वामी रामानुज ने सबसे पहले समानता संदेश दिया था।
चेन्नई के पास रामानुज का विशिष्टा द्वैत स्कूल है। जहां उनके सिद्धांतों और शिक्षाओं पढ़ाया जाता है। उनके महत्वपूर्ण वैष्णव केंद्रों में श्रीरंगम, तमिलनाडु में रंगनाथ मंदिर और आंध्र प्रदेश के तिरुपति में वेंकटेश्वर मंदिर, तिरुमाला शामिल है।
ये भी पढ़ें
‘जिन्ना टावर’ पर BJP आक्रामक, पूर्व राष्ट्रपति कलाम के नाम पर करने की मांग
फिल्म निर्देशक अली अकबर ने अपनी पत्नी के साथ हिंदू धर्म अपनाया